Guest guest Posted February 24, 2010 Report Share Posted February 24, 2010  ॠसांई राम    दृषà¥à¤Ÿà¤¿ के बदलते ही सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बदल जाती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दृषà¥à¤Ÿà¤¿ का परिवरà¥à¤¤à¤¨ मौलिक परिवरà¥à¤¤à¤¨ है। अतः दृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बदलें सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को नहीं, दृषà¥à¤Ÿà¤¿ कापरिवरà¥à¤¤à¤¨ संà¤à¤µ है, सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का नहीं। दृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बदला जा सकता है, सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को नहीं। हाà¤, इतना जरूर है कि दृषà¥à¤Ÿà¤¿ के परिवरà¥à¤¤à¤¨ में सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤à¥€ बदल जातीहै। इसलिठतो समà¥à¤¯à¤•दृषà¥à¤Ÿà¤¿ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में सà¤à¥€ कà¥à¤› सतà¥à¤¯ होता है और मिथà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को देखता है। अचà¥à¤›à¤¾à¤‡à¤¯à¤¾à¤ और बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¤¾à¤ हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ पर आधारित हैं।दृषà¥à¤Ÿà¤¿ दो पà¥à¤°à¤•ार की होती है। à¤à¤• गà¥à¤£à¤—à¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ और दूसरी छिनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤·à¥€à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¥¤ गà¥à¤£à¤—à¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ खूबियों को और छिनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤·à¥€ खामियों को देखता है। गà¥à¤£à¤—à¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ कोयल को देखता है तो कहता है कि कितना पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ बोलतीहै और छिनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤·à¥€ देखता है तो कहता है कि कितनी बदसूरत दिखती है।गà¥à¤£à¤—à¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ मोर को देखता है तो कहता है कि कितना सà¥à¤‚दर है औरछिनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤·à¥€ देखता है तो कहता है कि कितनी à¤à¤¦à¥à¤¦à¥€ आवाज है, कितने रà¥à¤–े पैर हैं। गà¥à¤£à¤—à¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ गà¥à¤²à¤¾à¤¬ के पौधे को देखता है तो कहता है कि कैसा अदà¥à¤à¥à¤¤à¤¸à¥Œà¤‚दरà¥à¤¯ है। कितने सà¥à¤‚दर फूल खिले हैं और छिनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤·à¥€ देखता है तोकहता है कि कितने तीखे काà¤à¤Ÿà¥‡ हैं। इस पौधे में मातà¥à¤° दृषà¥à¤Ÿà¤¿ का फरà¥à¤• है। जो गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को देखता है वह बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं देखता है।कबीर ने बहà¥à¤¤ कोशिश की बà¥à¤°à¥‡ आदमी को खोजने की। गली-गली, गाà¤à¤µ-गाà¤à¤µ खोजतेरहे परंतॠउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई बà¥à¤°à¤¾ आदमी न मिला। मालूम है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कबीरà¤à¤²à¥‡ आदमी थे। à¤à¤²à¥‡ आदमी को बà¥à¤°à¤¾ आदमी कैसे मिल सकता है? कबीर ने कहा-बà¥à¤°à¤¾ जो खोजन मैं चला, बà¥à¤°à¤¾ न मिलिया कोई,जो दिल खोजा आपना, मà¥à¤à¤¸à¥‡ बà¥à¤°à¤¾ न कोय।कबीर अपने आपको बà¥à¤°à¤¾ कह रहे हैं। यह à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ आदमी का परिचय है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अचà¥à¤›à¤¾ आदमी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को बà¥à¤°à¤¾ और दूसरों को अचà¥à¤›à¤¾ कह सकता है। बà¥à¤°à¥‡ आदमी मेंयह सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ नहीं होती। वह तो आतà¥à¤® पà¥à¤°à¤¶à¤‚सक और परनिंदक होता है। वह कहताहै-à¤à¤²à¤¾ जो खोजन मैं चला à¤à¤²à¤¾ न मिला कोय,जो दिल खोजा आपना मà¥à¤à¤¸à¥‡ à¤à¤²à¤¾ न कोय। धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना जिसकी निंदा-आलोचना करने की आदत हो गई है, दोष ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ की आदतपड़ गई, वे हजारों गà¥à¤£ होने पर à¤à¥€ दोष ढूà¤à¤¢ निकाल लेते हैं और जिनकी गà¥à¤£à¤—à¥à¤°à¤¹à¤£ की पà¥à¤°à¤•ृति है, वे हजार अवगà¥à¤£ होने पर à¤à¥€ गà¥à¤£ देख ही लेते हैं,कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¤¸à¥€ कोई à¤à¥€à¤šà¥€à¤œ नहीं है जो पूरी तरह से गà¥à¤£à¤¸à¤‚पनà¥à¤¨à¤¾ हो या पूरी तरह से गà¥à¤£à¤¹à¥€à¤¨ हो। à¤à¤• न à¤à¤• गà¥à¤£ या अवगà¥à¤£ सà¤à¥€ में होते हैं। मातà¥à¤°à¤—à¥à¤°à¤¹à¤£à¤¤à¤¾ की बात है कि आप कà¥à¤¯à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते हैं गà¥à¤£ या अवगà¥à¤£à¥¤à¤¤à¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸à¤œà¥€ ने कहा है - जाकी रही à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ जैसी, पà¥à¤°à¤à¥ मूरत देखी तिन तैसी।अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जिसकी जैसी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ होती है उसे वैसी ही मूरत नजर आती है।  For Daily SAI SANDESH Join our Group today Click at our Group address : http://groups.google.comshirdikesaibaba/box?p=FixAddr & email Current email address : shirdikesaibaba (AT) googl (DOT) com shirdikesaibabagroupVisit us at : http://shirdikesaibabaji.blogspot.comNow also join our SMS group for daily updates about our google Group Shirdi Ke Sai BabaClick Here : http://labs.google.co.in/smschannels//ANANDSAI Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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