Guest guest Posted June 12, 2008 Report Share Posted June 12, 2008 Dear readers, A very Happy Thursday to you .As I write this Chalisa my childhood days flash by ,a common scene which instantly comes to my mind is my mother reciting Sai chalisa and we both small children reciting just after her .It was a daily routine to sit in the evening and say Babas 11 assurances followed by Sai chalisa .This kept going on till we both could recite it without the help of book.We were small enough to read Sai satcharitra .So the first prayer that we could recite was Baba's vachan ,sai chalisa and Das ganu's prayer which are now sung daily in the morning aarti as the aarti reaches to completion .I am writing those prayer of Das Ganu also .This is how Sai chalisa was introduced in our life and became our daily prayer till we started singing 4 aartis and reading Sai satcharitra.Hence Sai chalisa is very close to my heart .I was typing this for a week and thought it will be completed soon but Baba wanted it to be Published on Thursday and its almost 12 in the night and Baba has graced to complete it at exactly on a Thursday .Sairam .Hindi Fonts may not open in so please visit the blog for reading the Chalisa .Here ~~अनंत कोटी बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤‚ड नायक राजाधिराज योगीराज परं बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤‚ शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द सदगà¥à¤°à¥‚ शà¥à¤°à¥€ साईनाथ महाराज की जय ~~ शिरडी साई बाबा चालीसा पहले साई के चरणों में ,अपना शीश नवाउं मैं, कैसे शिरडी साई आये, सारा हाल सà¥à¤¨à¤¾à¤Š मैं , कौन है माता ,पिता कौन है ,यह न किसी ने à¤à¥€ जाना , कहाठजनम साई ने धारा ,पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पहेली रहा बना , कोई कहे अयोधà¥à¤¯à¤¾ के ये ,रामचंदà¥à¤° à¤à¤—वान है , कोई कहता साई बाबा ,पवन पà¥à¤¤à¥à¤° हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है , कोई कहता मंगल मूरà¥à¤¤à¤¿ ,शà¥à¤°à¥€ गजानन है साई , कोई कहता गोकà¥à¤² -मोहन ,देवकी नंदन है साई , शंकर समà¤à¥‡ à¤à¤•à¥à¤¤ कई तो ,बाबा को à¤à¤œà¤¤à¥‡ रहते , कोई कहे अवतार दतà¥à¤¤ का,पूजा साई की करते , कà¥à¤› à¤à¥€ मानो उनको तà¥à¤®,पर साई हैं सचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤—वानॠ, बडे दयालॠ,दीपबंधà¥,कितनों को दिया है जीवन दान , कई वरà¥à¤· पहले की घटना ,तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤Šà¤‚गा मैं बात, आया साथ उसी के था ,बालक à¤à¤• बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर , आया ,आकर वहीं बस गया ,पवन शिरडी किया नगर, कई दिनों तक रहा à¤à¤Ÿà¤•ता ,à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ मांगी उसने दर-दर , और दिखाई à¤à¤¸à¥€ लीला ,जग में जो हो गई अमर, जैसे -जैसे उमर बढी,वैसे ही बढती गयी शान , घर -घर होने लगा नगर में ,साई बाबा का गà¥à¤£à¤—ान, दिगà¥-दिगंत मैं लगा गूंजने ,फिर तों साई जी का नाम , दीन-दà¥à¤–ी की रकà¥à¤·à¤¾ करना ,यही रहा बाबा का काम, बाबा के चरणों में जाकर ,जो कहता मैं हूठनिरà¥à¤§à¤¨ , दया उसी पर होती उनकी ,खà¥à¤² जाते दà¥à¤ƒà¤– के बनà¥à¤§à¤¨ , कà¤à¥€ किसी ने मांगी à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ ,दो बाबा मà¥à¤à¤•ो संतान , à¤à¤µà¤‚ असà¥à¤¤à¥ तब कहकर साई ,देते थे उसको वरदान , सà¥à¤µà¤¯à¤®à¥ दà¥à¤ƒà¤–ी बाबा हो जाते , दींन -दà¥à¤–ी का लख हाल , अनà¥à¤¤à¤ƒ कारन शà¥à¤°à¥€ साईं का, सागर जैसा रहा विशाल , à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤• मदà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥€ आया ,घर का बहà¥à¤¤ बड़ा धनवान , माल खजाना बेहद उसका ,केवल नहीं रही संतान, लगा मनाने साई नाथ को ,बाबा मà¥à¤ पर दया करो , à¤à¤‚à¤à¤¾ से à¤à¤‚कृत नैया को,तà¥à¤® ही मेरी पार करो , कà¥à¤²à¤¦à¥€à¤ªà¤• के बिना अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ ,छाया हà¥à¤† है घर में मेरे , इसीलिये आया हूठबाबा ,होकर शरणागत तोरे, कà¥à¤²à¤¦à¥€à¤ªà¤• के ही अà¤à¤¾à¤µ में ,वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ है दौलत की माया , आज à¤à¤¿à¤–ारी बनकर बाबा ,शरण तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ मैं आया , दे दो मà¥à¤à¤•ो पà¥à¤¤à¥à¤° दान , मैं ऋणी रहूंगा जीवन à¤à¤° , और किसी की आस न मà¥à¤à¤•ो ,सिरà¥à¤«à¤¼ à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ है तà¥à¤®à¤ªà¤° , अनà¥à¤¨à¤¯ -विनय बहà¥à¤¤ की उसने ,चरणों में धर-करके शीश , तब पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर बाबा ने ,दिया à¤à¤•à¥à¤¤ को यह आशीष , अलà¥à¤²à¤¾ à¤à¤²à¤¾ करेगा तेरा , पà¥à¤¤à¥à¤° जनà¥à¤® हो तेरे घर, कृपा रहेगी तà¥à¤® पर उसकी , और तेरे उस बालक पर, अब तक नहीं किसी ने पाया, साईं की कृपा का पार , पà¥à¤¤à¥à¤° रतà¥à¤¨ दे मदà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥€ को, धनà¥à¤¯ किया उसका संसार , तन-मन से जो à¤à¤œà¥‡ उसी का ,जग में होता है उदà¥à¤§à¤¾à¤°, सांच को आंच नही है कोई ,सदा à¤à¥‚ठकी होती हार , मैं हूठसदा सहारे उसके ,सदा रहूंगा उसका दास , साईं जैसा पà¥à¤°à¤à¥ मिला है ,इतनी ही कम है कà¥à¤¯à¤¾ आस , मेरा à¤à¥€ दिन था इक à¤à¤¸à¤¾ ,मिलती नहीं मà¥à¤à¥‡ थी रोटी , तन पर कपड़ा दूर रहा था ,शेष रही ननà¥à¤¹à¥€ लंगोटी, सरिता सनà¥à¤®à¥à¤– होने पर à¤à¥€ ,मैं पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ का पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ था , दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¿à¤¨ मेरा मेरे ऊपर ,दवांगà¥à¤¨à¥€ बरसता था , धरती के अतिरिकà¥à¤¤ जगत में ,मेरा कà¥à¤› अवलंब न था, बना à¤à¥€à¤–ारी मैं दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में ,दर-दर ठोकर खाता था, à¤à¤¸à¥‡ में इक मितà¥à¤° मिला जो,परम à¤à¤•à¥à¤¤ साईं का था, जंजालो से मà¥à¤•à¥à¤¤ ,मगर इस जगती में वह मà¥à¤ सा था , बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ के खातिर ,मिल दोनों ने किया विचार , साईं जैसे दयामूरà¥à¤¤à¥€ के, दरà¥à¤¶à¤¨ को हो गये तैयार , पावन शिरडी नगरी जाकर ,देखी मतवाली मूरति , धनà¥à¤¯ जनम हो गया की हमने ,जब देखी साईं की सà¥à¤°à¤¤à¤¿, जब से किठहै दरà¥à¤¶à¤¨ हमने ,दà¥à¤ƒà¤– सारा काफूर हो गया, संकट सारे मिटे और ,विपदाओं का हो अंत गया , मान और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिला ,à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ में हमको बाबा से , पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬à¤¿à¤¤ हो उठे जगत में ,हम साईं की आजà¥à¤žà¤¾ से, बाबा ने समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दिया है ,मान दिया इस जीवन में , इसका ही संबल ले मैं ,हंसता जाऊंगा जीवन में , साईं की लीला का मेरे ,मन पर à¤à¤¸à¤¾ असर हà¥à¤† , लगता ,जगती के कण -कण में,जैसे हो वह à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† , 'काशीराम' बाबा का à¤à¤•à¥à¤¤ ,इस शिरडी में रहता था , मैं साईं का ,साईं मेरा ,वह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से कहता था , सी कर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ वसà¥à¤¤à¥à¤° बेचता ,गà¥à¤°à¤¾à¤® नगर बाज़ारों में , à¤à¤‚कृत उसकी हृदय तंतà¥à¤°à¥€ थी ,साईं की à¤à¤‚कारों में, सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ निशा थी,थे सोये ,रजनी आà¤à¤šà¤² में चाà¤à¤¦-सितारे , नहीं सूà¤à¤¤à¤¾ रहा हाथ को हाथ तिमिर के मारे , वसà¥à¤¤à¥à¤° बेचकर लौट रहा था ,हाय !हाट से 'काशी', विचितà¥à¤° बड़ा संयोग कि उस दिन,आता था वह à¤à¤•ाकी , घेर राह में खडे हो गठ,उसे कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² ,अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ , मरो काटो लूटो इसको ,यही धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पड़ी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ, लà¥à¤Ÿ पीट कर उसे वहाठसे ,कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² गये चमà¥à¤ªà¤¤ हो, आघातों से मरà¥à¤®à¤¾à¤¹à¤¤ हो ,उसने दी संजà¥à¤žà¤¾ खो , बहà¥à¤¤ देर तक पड़ा रहा वह ,वहीं उसी हालत में, जाने कब कà¥à¤› होश ,हो उठा ,उसको किसी पलक में , अनजाने ही उसके मà¥à¤‚ह से ,निकल पड़ा था साईं , जिसकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿ शिरडी में,बाबा को पड़ी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ, कà¥à¤·à¥à¤¬à¤§ हो उठा मानस उनका, बाबा गठविकल हो , लगता जैसे घटना सारी ,घटी उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के सनà¥à¤®à¥à¤– हो, उनà¥à¤®à¤¾à¤¦à¥€ से इधर -उधर ,तब बाबा लगे à¤à¤Ÿà¤•ने, सनà¥à¤®à¥à¤– चीज़े जो à¤à¥€ आईं,उनको लगे पटकने , और धधकते अंगारों में,बाबा ने कर डाला , हà¥à¤ सशंकित सà¤à¥€ वहाठ,लख ताणà¥à¤¡à¤µ नृतà¥à¤¯ निराला, समठगठसब लोग कि कोई ,à¤à¤•à¥à¤¤ पड़ा संकट में , कà¥à¤·à¥à¤à¤¿à¤¤ खडे थे सà¤à¥€ वहाठपर,पडें हà¥à¤ विसà¥à¤®à¤¯ में, उसे बचाने की ही खातिर ,बाबा आज विकल हैं, उस की ही पीड़ा से पीड़ित उनका अंतसà¥à¤¤à¤² है, इतने में ही विधि ने अपनी ,विचितà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिखलाई , लेकर संजà¥à¤žà¤¾à¤¹à¥€à¤¨ à¤à¤•à¥à¤¤ को ,गाड़ी à¤à¤• वहां आई , सनà¥à¤®à¥à¤– अपने देख à¤à¤•à¥à¤¤ को,साईं की आंखे à¤à¤° आईं, शांत,धीर,गंà¤à¥€à¤° सिंधॠसा ,बाबा का अंतसà¥à¤¤à¤² , आज न जाने कà¥à¤¯à¥‹à¤ रह-रहकर ,हो जाता था चंचल, आज दया की मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ था,बना हà¥à¤† उपचारी, औठà¤à¤•à¥à¤¤ के लिये आज था ,देव बना पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤°à¥€ , आज à¤à¤•à¥à¤¤ की विषम परीकà¥à¤·à¤¾ में,सफल हà¥à¤† था काशी , उसके ही दरà¥à¤¶à¤¨ की खातिर थे,उमडे नगर -निवासी , जब à¤à¥€ और जहाठà¤à¥€ कोई ,à¤à¤•à¥à¤¤ पड़े संकट में, उसकी रकà¥à¤·à¤¾ करने बाबा,जाते हैं पलà¤à¤° में, यà¥à¤— -यà¥à¤— का है सतà¥à¤¯ यह,नहि कोई नई कहानी , आपतà¥à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ à¤à¤•à¥à¤¤ जब होता,जाते ख़à¥à¤¦ अंतरà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ , à¤à¥‡à¤¦-à¤à¤¾à¤µ से परे पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ ,मानवता के थे साईं, जितने पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ हिंदू-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® ,उतने ही थे सिकà¥à¤– इसाई , à¤à¥‡à¤¦ -à¤à¤¾à¤µ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° -मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का, तोड़ -फोड़ बाबा ने डाला , राम रहीम सà¤à¥€ उनके थे ,कृषà¥à¤£-करीम -अलà¥à¤²à¤¾à¤¹à¤¤à¤¾à¤²à¤¾ , घंटे की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿ से गूंजा ,मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का कोना-कोना , मिले परसà¥à¤ªà¤° हिंदू-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ , पà¥à¤¯à¤¾à¤° बà¥à¤¾ दिन दूना , चमतà¥à¤•ार था कितना सà¥à¤‚दर ,परिचय इस काया ने दी , और नीम की कड़वाहट में à¤à¥€ ,मिठास बाबा ने à¤à¤° दी , सबको सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ दिया साईं ने,सबको अनà¥à¤¤à¥à¤² पà¥à¤¯à¤¾à¤° किया , जो कà¥à¤› जिसने à¤à¥€ चाहा,बाबा ने उसको वही दिया, à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ शील à¤à¤¾à¤œà¤¨ का,नाम सदा जो जप करे , परà¥à¤µà¤¤ जैसा दà¥à¤ƒà¤– न कà¥à¤¯à¥‹à¤ हो,पलà¤à¤° में वह दूर टरे , साईं जैसा दाता हमने ,अरे नहीं देखा कोई , जिसने केवल दरà¥à¤¶à¤¨ से ही ,सारी विपदा दूर गई, तन में साईं ,मन में साईं ,साईं -साईं à¤à¤œà¤¾ करो , अपने तन की सà¥à¤§à¤¿ -बà¥à¤§à¤¿ खोकर ,सà¥à¤§à¤¿ उसकी तà¥à¤® किया करो , जब तू अपनी सà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤ तजकर ,बाबा की सà¥à¤§à¤¿ किया करेगा , और रात दिन बाबा ,बाबा ही तू रटा करेगा , तो बाबा को अरे ! विवश हो ,सà¥à¤§à¤¿ तेरी लेनी ही होगी , तेरी हर इचà¥à¤›à¤¾ बाबा को, पà¥à¤°à¥€ ही करनी होगी , जंगल-जंगल à¤à¤Ÿà¤• न पागल , और à¥à¥‚ंà¥à¤²à¥‡ बाबा को , à¤à¤• जगह केवल शिरडी में,तू पाà¤à¤—ा बाबा को, धनà¥à¤¯ जगत में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤‚ है वह,जिसने बाबा को पाया, दà¥à¤ƒà¤– में सà¥à¤– में पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° आठहो ,साईं का ही गà¥à¤£ गया , गिरें संकटों के परà¥à¤µà¤¤ ,चाहे बिजली ही टूट पड़े , साईं का ले नाम सदा तà¥à¤®, सनà¥à¤®à¥à¤– सब के रहो अडे , इस बà¥à¤¢à¥‡ की करामात सà¥à¤¨,तà¥à¤® हो जाओगे हैरान , दंग रह गठसà¥à¤¨à¤•र जिसको ,जाने कितने चतà¥à¤° सà¥à¤œà¤¾à¤¨ , à¤à¤• बार शिरडी में साधू ,ढोगी था कोई आया , à¤à¥‹à¤²à¥€ -à¤à¤¾à¤²à¥€ नगर निवासी ,जनता को था à¤à¤°à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ , जड़ी -बूटियां उनà¥à¤¹à¥‡ दिखाकर ,करने लगा वहाठà¤à¤¾à¤·à¤£ , कहने लगा सà¥à¤¨à¥‹ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤—ण घर मेरा है वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ , औषधि मेरे पास à¤à¤• है ,और अजब इसमें शकà¥à¤¤à¤¿ , इसके सेवन करने से ही ,हो जाती दà¥à¤ƒà¤– से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿, अगर मà¥à¤•à¥à¤¤ होना चाहो ,तà¥à¤® संकट से,बीमारी से , तो है मेरा नमà¥à¤° नेवेदन ,हर नर से नर -नारी से, लो खरीद तà¥à¤® इसको इसकी ,सेवन विधियाठहैं नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€, यधपि तà¥à¤šà¥à¤› वसà¥à¤¤à¥ है यह ,गà¥à¤£ उसके हैं अतिशय à¤à¤¾à¤°à¥€, जो हैं संतति हीन यहाठयदि ,मेरी औषधि को खाà¤à¤‚ , पà¥à¤¤à¥à¤° -रतà¥à¤¨ हो पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ ,अरे और वह मà¥à¤‚ह माà¤à¤—ा फल पाà¤à¤‚ , औषधि मेरी जो न खरीदे ,जीवन à¤à¤° पछताà¤à¤—ा, मà¥à¤ जैसा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ शायद ही ,अरे यहाठआ पायेगा , दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ दो दिन का मेला है , मौज शौक तà¥à¤® à¤à¥€ कर लो , गर इससे मिलता है ,सब कà¥à¤› ,तà¥à¤® à¤à¥€ इसको ले लो , हैरानी बढती जनता की,लख इसके कारसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ , पà¥à¤°à¤®à¥à¤¦à¤¿à¤¤ वह à¤à¥€ मन-ही-मन था,लख लोंगों की नादानी , ख़बर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ बाबा को यह ,गया दौड़कर सेवक à¤à¤•, सà¥à¤¨à¤•र à¤à¥à¤°à¥à¤•à¥à¤Ÿà¥€ तनी और विसà¥à¤®à¤°à¤£ हो गया सà¤à¥€ विवेक , हà¥à¤•à¥à¤® दिया सेवक को,सतà¥à¤µà¤° पकड़ दà¥à¤·à¥à¤Ÿ को लावो , या शिरडी की सीमा से ,कपटी को दूर à¤à¤—ावो, मेरे रहते à¤à¥‹à¤²à¥€-à¤à¤²à¥€ ,शिरडी की जनता को, कौन नीच à¤à¤¸à¤¾ जो,साहस करता है छलने को, पल à¤à¤° में ही à¤à¤¸à¥‡ à¥à¥‹à¤—ी,कपटी जीव लà¥à¤Ÿà¥‡à¤°à¥‡ को, महानाश के महागरà¥à¤¤ में ,पहà¥à¤à¤šà¤¾ दूठजीवन à¤à¤° को, तनिक मिला आà¤à¤¾à¤¸ मदारी ,कà¥à¤°à¥‚र ,कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€à¤•ो, काल नाचता है अब सिर पर ,गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आया साईं को , पलà¤à¤° में सब खेल बंद कर,à¤à¤¾à¤—ा सिर पर रखकर पैर , सोच रहा था मन-ही -मन ,à¤à¤—वान नहीं है कà¥à¤¯à¤¾ अब खैर , सच है साईं जैसा दानी ,मिल न सकेगा जग में , अंश ईश का साईं बाबा ,उनेह न कà¥à¤› à¤à¥€ मà¥à¤¶à¥à¤•िल जग में, सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ शील ,सौजनà¥à¤¯ आदि का ,आà¤à¥‚षण धारण कर, बढता इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में जो à¤à¥€ ,मानव -सेवा के पथ पर, वही जीत लेता है जगती के ,जन-जन का अंतसà¥à¤¤à¤² , उसकी à¤à¤• उदासी ही जग को ,कर देती है विहà¥à¤µà¤² , जब-जब जग में à¤à¤¾à¤° पाप का,बढ-बढ जाता है , उसे मिटाने की ही खातिर ,अवतारी हो आता है , पाप और अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ सà¤à¥€ कà¥à¤› ,इसी जगती का हर में, दूर à¤à¤—ा देता दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के,दानव को कà¥à¤·à¤£ à¤à¤° में, सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ सà¥à¤§à¤¾ की धार बरसने ,लगती है इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में, गले परसà¥à¤µà¤° मिलने लगते है, जन-जन आपस में , à¤à¤¸à¥‡ ही अवतारी साईं, मृतà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤• में आकर,समता का यह पाठपढाया , सबको अपना आप मिटाकर ,नाम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ा मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का रखा ,शिरडी में साईं ने, दान,ताप,संताप मिटाया ,जो कà¥à¤› पाया साईं ने, सदा याद में मसà¥à¤¤ राम की,बैठे रहते थे साईं, पहर आठही राम नाम की ,à¤à¤œà¤¤à¥‡ रहते थे साईं, सà¥à¤–ी-रूखी ताज़ी बासी,चाहे या होवे पकवान , सदा पà¥à¤¯à¤¾à¤° के à¤à¥‚खे साईं की,खातिर थे सà¤à¥€ समान , सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से अपनी ,जन जो कà¥à¤› दे जाते थे , बड़े चाव से उस à¤à¥‹à¤œà¤¨ को बाबा पावन करते थे, कà¤à¥€-कà¤à¥€ मन बहलाने को,बाबा बाग़ में जाते थे, पà¥à¤°à¤®à¥à¤¦à¤¿à¤¤ मन में निरख पà¥à¤°à¤•ृति ,छठा को वे होते थे , रंग-बिरंगे पà¥à¤·à¥à¤ª बाग़ के ,मंद -मंद हिल -डà¥à¤² करके , बीहड़ वीराने मन में à¤à¥€ ,सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ सलिल à¤à¤° जाते थे, à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤®à¤§à¥à¤° बेला में à¤à¥€ ,दà¥à¤ƒà¤– आपद विपदा के मारे , अपने मन की वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ ,जन रहते बाबा को घेरे , सà¥à¤¨à¤•र जिनकी करà¥à¤£ कथा को ,नयन कमल à¤à¤° आते थे, दे विà¤à¥‚ति हर वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ ,शानà¥à¤¤à¤¿ उनके उर में à¤à¤° देते थे, जाने कà¥à¤¯à¤¾ अदà¥à¤à¥à¤¤ ,शकà¥à¤¤à¤¿ ,उस विà¤à¥‚ति में होती थी, जो धारण करके मसà¥à¤¤à¤• पर ,दà¥à¤ƒà¤– सारा हर लेती थी , धनà¥à¤¯ मनà¥à¤œ वे साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ दरà¥à¤¶à¤¨ ,जो बाबा साईं के पाये , धनà¥à¤¯ कमल कर उनके जिसने ,चरण -कमल वे परसाà¤, काश ! निरà¥à¤à¤¯ तà¥à¤®à¤•ो à¤à¥€ ,साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ साईं मिल जाता , बरसों से उजड़ा चमन अपना ,फिर से आज खिल जाता , गर पकड़ता मैं चरण शà¥à¤°à¥€à¤•े ,नहीं छोड़ता उमà¥à¤°à¤à¤° , मना लेता मैं जरूर उनको ,गर रà¥à¤ ते साईं मà¥à¤ पर, ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अनंत कोटी बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤‚ड नायक राजाधिराज योगीराज परं बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤‚ शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द सदगà¥à¤°à¥‚ शà¥à¤°à¥€ साईनाथ महाराज की जय ~~ --Posted By Manisha.Rautela.Bisht to Shirdi Sai Baba | Sai Babas Devotees Experiences | Sai Baba Related all Details at 6/11/2008 10:28:00 AM Sairam Baba Guide us all At the Feet of my Sathguru Sai Manisha ~Shirdi Sai Baba Blog ~ http://sathgurushirdisaibaba.blogspot.com/ http://.blogspot.com/ Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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