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Shri Shirdi Sai Baba Chalisa (Hindi)

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Dear readers,

A very Happy Thursday to you .As I write this Chalisa my childhood days flash by ,a common scene which instantly comes to my mind is my mother reciting Sai chalisa and we both small children reciting just after her .It was a daily routine to sit in the evening and say Babas 11 assurances followed by Sai chalisa .This kept going on till we both could recite it without the help of book.We were small enough to read Sai satcharitra .So the first prayer that we could recite was Baba's vachan ,sai chalisa and Das ganu's prayer which are now sung daily in the morning aarti as the aarti reaches to completion .I am writing those prayer of Das Ganu also .This is how Sai chalisa was introduced in our life and became our daily prayer till we started singing 4 aartis and reading Sai satcharitra.Hence Sai chalisa is very close to my heart .I was typing this for a week and thought it will be completed soon but Baba wanted it to be Published on Thursday and its

almost 12 in the night and Baba has graced to complete it at exactly on a Thursday .Sairam .Hindi Fonts may not open in so please visit the blog for reading the Chalisa .Here

 

~~अनंत कोटी बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤‚ड नायक राजाधिराज योगीराज परं बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤‚ शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द सदगà¥à¤°à¥‚ शà¥à¤°à¥€ साईनाथ महाराज की जय ~~

 

शिरडी साई बाबा चालीसा

 

पहले साई के चरणों में ,अपना शीश नवाउं मैं,

 

कैसे शिरडी साई आये, सारा हाल सà¥à¤¨à¤¾à¤Š मैं ,

 

कौन है माता ,पिता कौन है ,यह न किसी ने भी जाना ,

 

कहाठजनम साई ने धारा ,पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पहेली रहा बना ,

 

कोई कहे अयोधà¥à¤¯à¤¾ के ये ,रामचंदà¥à¤° भगवान है ,

 

कोई कहता साई बाबा ,पवन पà¥à¤¤à¥à¤° हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है ,

 

कोई कहता मंगल मूरà¥à¤¤à¤¿ ,शà¥à¤°à¥€ गजानन है साई ,

 

कोई कहता गोकà¥à¤² -मोहन ,देवकी नंदन है साई ,

 

शंकर समà¤à¥‡ भकà¥à¤¤ कई तो ,बाबा को भजते रहते ,

 

कोई कहे अवतार दतà¥à¤¤ का,पूजा साई की करते ,

 

कà¥à¤› भी मानो उनको तà¥à¤®,पर साई हैं सचà¥à¤šà¥‡ भगवानॠ,

 

बडे दयालॠ,दीपबंधà¥,कितनों को दिया है जीवन दान ,

 

कई वरà¥à¤· पहले की घटना ,तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤Šà¤‚गा मैं बात,

 

आया साथ उसी के था ,बालक à¤à¤• बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर ,

 

आया ,आकर वहीं बस गया ,पवन शिरडी किया नगर,

 

कई दिनों तक रहा भटकता ,भिकà¥à¤·à¤¾ मांगी उसने दर-दर ,

 

और दिखाई à¤à¤¸à¥€ लीला ,जग में जो हो गई अमर,

 

जैसे -जैसे उमर बढी,वैसे ही बढती गयी शान ,

 

घर -घर होने लगा नगर में ,साई बाबा का गà¥à¤£à¤—ान,

 

दिगà¥-दिगंत मैं लगा गूंजने ,फिर तों साई जी का नाम ,

 

दीन-दà¥à¤–ी की रकà¥à¤·à¤¾ करना ,यही रहा बाबा का काम,

 

बाबा के चरणों में जाकर ,जो कहता मैं हूठनिरà¥à¤§à¤¨ ,

 

दया उसी पर होती उनकी ,खà¥à¤² जाते दà¥à¤ƒà¤– के बनà¥à¤§à¤¨ ,

 

कभी किसी ने मांगी भिकà¥à¤·à¤¾ ,दो बाबा मà¥à¤à¤•ो संतान ,

 

à¤à¤µà¤‚ असà¥à¤¤à¥ तब कहकर साई ,देते थे उसको वरदान ,

 

सà¥à¤µà¤¯à¤®à¥ दà¥à¤ƒà¤–ी बाबा हो जाते , दींन -दà¥à¤–ी का लख हाल ,

 

अनà¥à¤¤à¤ƒ कारन शà¥à¤°à¥€ साईं का, सागर जैसा रहा विशाल ,

 

भकà¥à¤¤ à¤à¤• मदà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥€ आया ,घर का बहà¥à¤¤ बड़ा धनवान ,

 

माल खजाना बेहद उसका ,केवल नहीं रही संतान,

 

लगा मनाने साई नाथ को ,बाबा मà¥à¤ पर दया करो ,

 

à¤à¤‚à¤à¤¾ से à¤à¤‚कृत नैया को,तà¥à¤® ही मेरी पार करो ,

 

कà¥à¤²à¤¦à¥€à¤ªà¤• के बिना अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ ,छाया हà¥à¤† है घर में मेरे ,

 

इसीलिये आया हूठबाबा ,होकर शरणागत तोरे,

 

कà¥à¤²à¤¦à¥€à¤ªà¤• के ही अभाव में ,वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ है दौलत की माया ,

 

आज भिखारी बनकर बाबा ,शरण तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ मैं आया ,

 

दे दो मà¥à¤à¤•ो पà¥à¤¤à¥à¤° दान , मैं ऋणी रहूंगा जीवन भर ,

 

और किसी की आस न मà¥à¤à¤•ो ,सिरà¥à¤«à¤¼ भरोसा है तà¥à¤®à¤ªà¤° ,

 

अनà¥à¤¨à¤¯ -विनय बहà¥à¤¤ की उसने ,चरणों में धर-करके शीश ,

 

तब पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर बाबा ने ,दिया भकà¥à¤¤ को यह आशीष ,

 

अलà¥à¤²à¤¾ भला करेगा तेरा , पà¥à¤¤à¥à¤° जनà¥à¤® हो तेरे घर,

 

कृपा रहेगी तà¥à¤® पर उसकी , और तेरे उस बालक पर,

 

अब तक नहीं किसी ने पाया, साईं की कृपा का पार ,

 

पà¥à¤¤à¥à¤° रतà¥à¤¨ दे मदà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥€ को, धनà¥à¤¯ किया उसका संसार ,

 

तन-मन से जो भजे उसी का ,जग में होता है उदà¥à¤§à¤¾à¤°,

 

सांच को आंच नही है कोई ,सदा à¤à¥‚ठ की होती हार ,

 

मैं हूठसदा सहारे उसके ,सदा रहूंगा उसका दास ,

 

साईं जैसा पà¥à¤°à¤­à¥ मिला है ,इतनी ही कम है कà¥à¤¯à¤¾ आस ,

 

मेरा भी दिन था इक à¤à¤¸à¤¾ ,मिलती नहीं मà¥à¤à¥‡ थी रोटी ,

 

तन पर कपड़ा दूर रहा था ,शेष रही ननà¥à¤¹à¥€ लंगोटी,

 

सरिता सनà¥à¤®à¥à¤– होने पर भी ,मैं पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ का पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ था ,

 

दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¿à¤¨ मेरा मेरे ऊपर ,दवांगà¥à¤¨à¥€ बरसता था ,

 

धरती के अतिरिकà¥à¤¤ जगत में ,मेरा कà¥à¤› अवलंब न था,

 

बना भीखारी मैं दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में ,दर-दर ठोकर खाता था,

 

à¤à¤¸à¥‡ में इक मितà¥à¤° मिला जो,परम भकà¥à¤¤ साईं का था,

 

जंजालो से मà¥à¤•à¥à¤¤ ,मगर इस जगती में वह मà¥à¤ सा था ,

 

बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ के खातिर ,मिल दोनों ने किया विचार ,

 

साईं जैसे दयामूरà¥à¤¤à¥€ के, दरà¥à¤¶à¤¨ को हो गये तैयार ,

 

पावन शिरडी नगरी जाकर ,देखी मतवाली मूरति ,

 

धनà¥à¤¯ जनम हो गया की हमने ,जब देखी साईं की सà¥à¤°à¤¤à¤¿,

 

जब से किठहै दरà¥à¤¶à¤¨ हमने ,दà¥à¤ƒà¤– सारा काफूर हो गया,

 

संकट सारे मिटे और ,विपदाओं का हो अंत गया ,

 

मान और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिला ,भिकà¥à¤·à¤¾ में हमको बाबा से ,

 

पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬à¤¿à¤¤ हो उठे जगत में ,हम साईं की आजà¥à¤žà¤¾ से,

 

बाबा ने समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दिया है ,मान दिया इस जीवन में ,

 

इसका ही संबल ले मैं ,हंसता जाऊंगा जीवन में ,

 

साईं की लीला का मेरे ,मन पर à¤à¤¸à¤¾ असर हà¥à¤† ,

 

लगता ,जगती के कण -कण में,जैसे हो वह भरा हà¥à¤† ,

 

'काशीराम' बाबा का भकà¥à¤¤ ,इस शिरडी में रहता था ,

 

मैं साईं का ,साईं मेरा ,वह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से कहता था ,

 

सी कर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ वसà¥à¤¤à¥à¤° बेचता ,गà¥à¤°à¤¾à¤® नगर बाज़ारों में ,

 

à¤à¤‚कृत उसकी हृदय तंतà¥à¤°à¥€ थी ,साईं की à¤à¤‚कारों में,

 

सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ निशा थी,थे सोये ,रजनी आà¤à¤šà¤² में चाà¤à¤¦-सितारे ,

 

नहीं सूà¤à¤¤à¤¾ रहा हाथ को हाथ तिमिर के मारे ,

 

वसà¥à¤¤à¥à¤° बेचकर लौट रहा था ,हाय !हाट से 'काशी',

 

विचितà¥à¤° बड़ा संयोग कि उस दिन,आता था वह à¤à¤•ाकी ,

 

घेर राह में खडे हो गठ,उसे कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² ,अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ ,

 

मरो काटो लूटो इसको ,यही धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पड़ी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ,

 

लà¥à¤Ÿ पीट कर उसे वहाठसे ,कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² गये चमà¥à¤ªà¤¤ हो,

 

आघातों से मरà¥à¤®à¤¾à¤¹à¤¤ हो ,उसने दी संजà¥à¤žà¤¾ खो ,

 

बहà¥à¤¤ देर तक पड़ा रहा वह ,वहीं उसी हालत में,

 

जाने कब कà¥à¤› होश ,हो उठा ,उसको किसी पलक में ,

 

अनजाने ही उसके मà¥à¤‚ह से ,निकल पड़ा था साईं ,

 

जिसकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿ शिरडी में,बाबा को पड़ी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ,

 

कà¥à¤·à¥à¤¬à¤§ हो उठा मानस उनका, बाबा गठविकल हो ,

 

लगता जैसे घटना सारी ,घटी उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के सनà¥à¤®à¥à¤– हो,

 

उनà¥à¤®à¤¾à¤¦à¥€ से इधर -उधर ,तब बाबा लगे भटकने,

 

सनà¥à¤®à¥à¤– चीज़े जो भी आईं,उनको लगे पटकने ,

 

और धधकते अंगारों में,बाबा ने कर डाला ,

 

हà¥à¤ सशंकित सभी वहाठ,लख ताणà¥à¤¡à¤µ नृतà¥à¤¯ निराला,

 

समठगठसब लोग कि कोई ,भकà¥à¤¤ पड़ा संकट में ,

 

कà¥à¤·à¥à¤­à¤¿à¤¤ खडे थे सभी वहाठपर,पडें हà¥à¤ विसà¥à¤®à¤¯ में,

 

उसे बचाने की ही खातिर ,बाबा आज विकल हैं,

 

उस की ही पीड़ा से पीड़ित उनका अंतसà¥à¤¤à¤² है,

 

इतने में ही विधि ने अपनी ,विचितà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिखलाई ,

 

लेकर संजà¥à¤žà¤¾à¤¹à¥€à¤¨ भकà¥à¤¤ को ,गाड़ी à¤à¤• वहां आई ,

 

सनà¥à¤®à¥à¤– अपने देख भकà¥à¤¤ को,साईं की आंखे भर आईं,

 

शांत,धीर,गंभीर सिंधॠसा ,बाबा का अंतसà¥à¤¤à¤² ,

 

आज न जाने कà¥à¤¯à¥‹à¤ रह-रहकर ,हो जाता था चंचल,

 

आज दया की मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ था,बना हà¥à¤† उपचारी,

 

औठभकà¥à¤¤ के लिये आज था ,देव बना पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤°à¥€ ,

 

आज भकà¥à¤¤ की विषम परीकà¥à¤·à¤¾ में,सफल हà¥à¤† था काशी ,

 

उसके ही दरà¥à¤¶à¤¨ की खातिर थे,उमडे नगर -निवासी ,

 

जब भी और जहाठभी कोई ,भकà¥à¤¤ पड़े संकट में,

 

उसकी रकà¥à¤·à¤¾ करने बाबा,जाते हैं पलभर में,

 

यà¥à¤— -यà¥à¤— का है सतà¥à¤¯ यह,नहि कोई नई कहानी ,

 

आपतà¥à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ भकà¥à¤¤ जब होता,जाते ख़à¥à¤¦ अंतरà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ ,

 

भेद-भाव से परे पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ ,मानवता के थे साईं,

 

जितने पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ हिंदू-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® ,उतने ही थे सिकà¥à¤– इसाई ,

 

भेद -भाव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° -मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का, तोड़ -फोड़ बाबा ने डाला ,

 

राम रहीम सभी उनके थे ,कृषà¥à¤£-करीम -अलà¥à¤²à¤¾à¤¹à¤¤à¤¾à¤²à¤¾ ,

 

घंटे की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿ से गूंजा ,मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का कोना-कोना ,

 

मिले परसà¥à¤ªà¤° हिंदू-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ , पà¥à¤¯à¤¾à¤° बà¥à¤¾ दिन दूना ,

 

चमतà¥à¤•ार था कितना सà¥à¤‚दर ,परिचय इस काया ने दी ,

 

और नीम की कड़वाहट में भी ,मिठास बाबा ने भर दी ,

 

सबको सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ दिया साईं ने,सबको अनà¥à¤¤à¥à¤² पà¥à¤¯à¤¾à¤° किया ,

 

जो कà¥à¤› जिसने भी चाहा,बाबा ने उसको वही दिया,

 

à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ शील भाजन का,नाम सदा जो जप करे ,

 

परà¥à¤µà¤¤ जैसा दà¥à¤ƒà¤– न कà¥à¤¯à¥‹à¤ हो,पलभर में वह दूर टरे ,

 

साईं जैसा दाता हमने ,अरे नहीं देखा कोई ,

 

जिसने केवल दरà¥à¤¶à¤¨ से ही ,सारी विपदा दूर गई,

 

तन में साईं ,मन में साईं ,साईं -साईं भजा करो ,

 

अपने तन की सà¥à¤§à¤¿ -बà¥à¤§à¤¿ खोकर ,सà¥à¤§à¤¿ उसकी तà¥à¤® किया करो ,

 

जब तू अपनी सà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤ तजकर ,बाबा की सà¥à¤§à¤¿ किया करेगा ,

 

और रात दिन बाबा ,बाबा ही तू रटा करेगा ,

 

तो बाबा को अरे ! विवश हो ,सà¥à¤§à¤¿ तेरी लेनी ही होगी ,

 

तेरी हर इचà¥à¤›à¤¾ बाबा को, पà¥à¤°à¥€ ही करनी होगी ,

 

जंगल-जंगल भटक न पागल , और à¥à¥‚ंà¥à¤²à¥‡ बाबा को ,

 

à¤à¤• जगह केवल शिरडी में,तू पाà¤à¤—ा बाबा को,

 

धनà¥à¤¯ जगत में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤‚ है वह,जिसने बाबा को पाया,

 

दà¥à¤ƒà¤– में सà¥à¤– में पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° आठ हो ,साईं का ही गà¥à¤£ गया ,

 

गिरें संकटों के परà¥à¤µà¤¤ ,चाहे बिजली ही टूट पड़े ,

 

साईं का ले नाम सदा तà¥à¤®, सनà¥à¤®à¥à¤– सब के रहो अडे ,

 

इस बà¥à¤¢à¥‡ की करामात सà¥à¤¨,तà¥à¤® हो जाओगे हैरान ,

 

दंग रह गठसà¥à¤¨à¤•र जिसको ,जाने कितने चतà¥à¤° सà¥à¤œà¤¾à¤¨ ,

 

à¤à¤• बार शिरडी में साधू ,ढोगी था कोई आया ,

 

भोली -भाली नगर निवासी ,जनता को था भरमाया ,

 

जड़ी -बूटियां उनà¥à¤¹à¥‡ दिखाकर ,करने लगा वहाठभाषण ,

 

कहने लगा सà¥à¤¨à¥‹ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤—ण घर मेरा है वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ ,

 

औषधि मेरे पास à¤à¤• है ,और अजब इसमें शकà¥à¤¤à¤¿ ,

 

इसके सेवन करने से ही ,हो जाती दà¥à¤ƒà¤– से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿,

 

अगर मà¥à¤•à¥à¤¤ होना चाहो ,तà¥à¤® संकट से,बीमारी से ,

 

तो है मेरा नमà¥à¤° नेवेदन ,हर नर से नर -नारी से,

 

लो खरीद तà¥à¤® इसको इसकी ,सेवन विधियाठहैं नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€,

 

यधपि तà¥à¤šà¥à¤› वसà¥à¤¤à¥ है यह ,गà¥à¤£ उसके हैं अतिशय भारी,

 

जो हैं संतति हीन यहाठयदि ,मेरी औषधि को खाà¤à¤‚ ,

 

पà¥à¤¤à¥à¤° -रतà¥à¤¨ हो पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ ,अरे और वह मà¥à¤‚ह माà¤à¤—ा फल पाà¤à¤‚ ,

 

औषधि मेरी जो न खरीदे ,जीवन भर पछताà¤à¤—ा,

 

मà¥à¤ जैसा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ शायद ही ,अरे यहाठआ पायेगा ,

 

दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ दो दिन का मेला है , मौज शौक तà¥à¤® भी कर लो ,

 

गर इससे मिलता है ,सब कà¥à¤› ,तà¥à¤® भी इसको ले लो ,

 

हैरानी बढती जनता की,लख इसके कारसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ ,

 

पà¥à¤°à¤®à¥à¤¦à¤¿à¤¤ वह भी मन-ही-मन था,लख लोंगों की नादानी ,

 

ख़बर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ बाबा को यह ,गया दौड़कर सेवक à¤à¤•,

 

सà¥à¤¨à¤•र भà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤Ÿà¥€ तनी और विसà¥à¤®à¤°à¤£ हो गया सभी विवेक ,

 

हà¥à¤•à¥à¤® दिया सेवक को,सतà¥à¤µà¤° पकड़ दà¥à¤·à¥à¤Ÿ को लावो ,

 

या शिरडी की सीमा से ,कपटी को दूर भगावो,

 

मेरे रहते भोली-भली ,शिरडी की जनता को,

 

कौन नीच à¤à¤¸à¤¾ जो,साहस करता है छलने को,

 

पल भर में ही à¤à¤¸à¥‡ à¥à¥‹à¤—ी,कपटी जीव लà¥à¤Ÿà¥‡à¤°à¥‡ को,

 

महानाश के महागरà¥à¤¤ में ,पहà¥à¤à¤šà¤¾ दूठजीवन भर को,

 

तनिक मिला आभास मदारी ,कà¥à¤°à¥‚र ,कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€à¤•ो,

 

काल नाचता है अब सिर पर ,गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आया साईं को ,

 

पलभर में सब खेल बंद कर,भागा सिर पर रखकर पैर ,

 

सोच रहा था मन-ही -मन ,भगवान नहीं है कà¥à¤¯à¤¾ अब खैर ,

 

सच है साईं जैसा दानी ,मिल न सकेगा जग में ,

 

अंश ईश का साईं बाबा ,उनेह न कà¥à¤› भी मà¥à¤¶à¥à¤•िल जग में,

 

सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ शील ,सौजनà¥à¤¯ आदि का ,आभूषण धारण कर,

 

बढता इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में जो भी ,मानव -सेवा के पथ पर,

 

वही जीत लेता है जगती के ,जन-जन का अंतसà¥à¤¤à¤² ,

 

उसकी à¤à¤• उदासी ही जग को ,कर देती है विहà¥à¤µà¤² ,

 

जब-जब जग में भार पाप का,बढ-बढ जाता है ,

 

उसे मिटाने की ही खातिर ,अवतारी हो आता है ,

 

पाप और अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ सभी कà¥à¤› ,इसी जगती का हर में,

 

दूर भगा देता दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के,दानव को कà¥à¤·à¤£ भर में,

 

सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ सà¥à¤§à¤¾ की धार बरसने ,लगती है इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में,

 

गले परसà¥à¤µà¤° मिलने लगते है, जन-जन आपस में ,

 

à¤à¤¸à¥‡ ही अवतारी साईं, मृतà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤• में आकर,समता का यह पाठ पढाया ,

 

सबको अपना आप मिटाकर ,नाम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ा मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का रखा ,शिरडी में साईं ने,

 

दान,ताप,संताप मिटाया ,जो कà¥à¤› पाया साईं ने,

 

सदा याद में मसà¥à¤¤ राम की,बैठे रहते थे साईं,

 

पहर आठही राम नाम की ,भजते रहते थे साईं,

सà¥à¤–ी-रूखी ताज़ी बासी,चाहे या होवे पकवान ,

सदा पà¥à¤¯à¤¾à¤° के भूखे साईं की,खातिर थे सभी समान ,

सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से अपनी ,जन जो कà¥à¤› दे जाते थे ,

बड़े चाव से उस भोजन को बाबा पावन करते थे,

कभी-कभी मन बहलाने को,बाबा बाग़ में जाते थे,

पà¥à¤°à¤®à¥à¤¦à¤¿à¤¤ मन में निरख पà¥à¤°à¤•ृति ,छठा को वे होते थे ,

रंग-बिरंगे पà¥à¤·à¥à¤ª बाग़ के ,मंद -मंद हिल -डà¥à¤² करके ,

बीहड़ वीराने मन में भी ,सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ सलिल भर जाते थे,

à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤®à¤§à¥à¤° बेला में भी ,दà¥à¤ƒà¤– आपद विपदा के मारे ,

अपने मन की वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ ,जन रहते बाबा को घेरे ,

सà¥à¤¨à¤•र जिनकी करà¥à¤£ कथा को ,नयन कमल भर आते थे,

दे विभूति हर वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ ,शानà¥à¤¤à¤¿ उनके उर में भर देते थे,

जाने कà¥à¤¯à¤¾ अदà¥à¤­à¥à¤¤ ,शकà¥à¤¤à¤¿ ,उस विभूति में होती थी,

जो धारण करके मसà¥à¤¤à¤• पर ,दà¥à¤ƒà¤– सारा हर लेती थी ,

धनà¥à¤¯ मनà¥à¤œ वे साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ दरà¥à¤¶à¤¨ ,जो बाबा साईं के पाये ,

धनà¥à¤¯ कमल कर उनके जिसने ,चरण -कमल वे परसाà¤,

काश ! निरà¥à¤­à¤¯ तà¥à¤®à¤•ो भी ,साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ साईं मिल जाता ,

बरसों से उजड़ा चमन अपना ,फिर से आज खिल जाता ,

गर पकड़ता मैं चरण शà¥à¤°à¥€à¤•े ,नहीं छोड़ता उमà¥à¤°à¤­à¤° ,

मना लेता मैं जरूर उनको ,गर रà¥à¤ à¤¤à¥‡ साईं मà¥à¤ पर,

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

अनंत कोटी बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤‚ड नायक राजाधिराज योगीराज परं बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤‚ शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द सदगà¥à¤°à¥‚ शà¥à¤°à¥€ साईनाथ महाराज की जय ~~

 

 

--Posted By Manisha.Rautela.Bisht to Shirdi Sai Baba | Sai Babas Devotees Experiences | Sai Baba Related all Details at 6/11/2008 10:28:00 AM

 

 

Sairam

Baba Guide us all

At the Feet of my Sathguru Sai

Manisha

 

~Shirdi Sai Baba Blog ~

http://sathgurushirdisaibaba.blogspot.com/

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