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Sri Sai Nath Stavan Manjari in Hindi Can someone be kind enough to provide us with the English version

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jai sainath,

Hopefully by lord Sainath's grace someone can translate this work into English alphabets and along put its meaning like the SAI AMRITVANI.

 

OM sairam

 

Navind

2009/10/29 rOhit beHaL <>

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

~~ Sri Sai Nath Stavan Manjari ~~ 

in Hindi

_

 

 

ॠसांई राम!!!

 

शà¥à¤°à¥€ दासगणॠमहाराज कृत

शà¥à¤°à¥€ सांईनाथ सà¥à¤¤à¤µà¤¨ मंजरी~~

 

हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤—ायन

ठाकà¥à¤° भूपति सिंह

 

॥ॠशà¥à¤°à¥€ गणेशाय नमः॥

॥ॠशà¥à¤°à¥€ सांईनाथाय नमः॥

 

       

 

मयूरेशà¥à¤µà¤° जय सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥¤ सरà¥à¤µ साकà¥à¤·à¥€ हे गौरिकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥¤

अचिनà¥à¤¤à¥à¤¯ सरूप हे लंबोदर। रकà¥à¤·à¤¾ करो मम,सिदà¥à¤§à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥¥1॥

 

सकल गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का तूं है सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ गणà¥à¤ªà¤¤à¤¿ तूं है अनà¥à¤¤à¤°à¤¯à¤¾à¤®à¥€à¥¤

अखिल शासà¥à¤¤à¥à¤° गाते तव महिमा। भालचनà¥à¤¦à¥à¤° मंगल गज वदना॥2॥

 

माठशारदे वाग विलासनी। शबà¥à¤¦-सà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ की अखिल सà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¨à¥€à¥¤

जगजà¥à¤œà¤¨à¤¨à¥€ तव शकà¥à¤¤à¤¿ अपार। तà¥à¤à¤¸à¥‡ अखिल जगत वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥¥3॥

 

कवियों की तूं शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€à¥¤ सारे जग की भूषण दातà¥à¤°à¥€à¥¤

तेरे चरणों के हम बंदे। नमो नमो माता जगदमà¥à¤¬à¥‡à¥¥4॥

 

पूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हे सनà¥à¤¤ सहारे। पंढ़रीनाथ रूप तà¥à¤® धारे।

करूणासिंधॠजय दयानिधान। पांढ़à¥à¤°à¤‚ग नरसिंह भगवान॥5॥

 

सारे जग का सूतà¥à¤°à¤§à¤¾à¤° तूं। इस संसà¥à¤°à¤¤à¤¿ का सà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¾à¤° तूं।

करते शासà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चिंतन। ततॠसà¥à¤µà¤°à¥‚प में रमते निशदिन॥6॥

 

जो केवल पोथी के जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ । नहीं पाते तà¥à¤à¤•ो वे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¥¤

बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¹à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤—टाये वाणी। वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ विवाद करें अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€à¥¥7॥

 

तà¥à¤à¤•ो जानते सचà¥à¤šà¥‡ संत। पाये नहीं कोई भी अंत।

पद-पंकज में विनत पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤ जयति-जयति शिरडी घनशà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥¥8॥

 

पंचवकà¥à¤¤à¥à¤° शिवशंकर जय हो। पà¥à¤°à¤²à¤¯à¤‚कर अभà¥à¤¯à¤‚कर जय हो।

जय नीलकणà¥à¤  हे दिगंबर। पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤  के पà¥à¤°à¤£à¤µ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¥¥9॥

 

हà¥à¤°à¤¦à¤¯ से जपता जो तव नाम। उसके होते पूरà¥à¤£ सब काम।

सांई नाम महा सà¥à¤–दाई। महिमा वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जग में छाई॥10॥

 

पदारविनà¥à¤¦ में करूं पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤ सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° लिखूं पà¥à¤°à¤­à¥ तेरे नाम।

आशीष वरà¥à¤·à¤¾ करो नाथ हे । जगतपति हे भोलेनाथ हे॥11॥

 

दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ को करूं पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤ विषà¥à¤£à¥ नारायण जो सà¥à¤–धाम।

तà¥à¤•ाराम से सनà¥à¤¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को। पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® शत शत भकà¥à¤¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को॥12॥

 

जयति-जयति जय जय सांई नाथ हे। रकà¥à¤·à¤• तूं ही दीनदयाल हे।

मà¥à¤à¤•ो कर दो पà¥à¤°à¤­à¥ सनाथ। शरणागत हूं तेरे दà¥à¤µà¤¾à¤° हे॥13॥

 

तूं है पूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® भगवान। विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¥‚षोतà¥à¤¤à¤® तूं सà¥à¤–धाम।

उमापति शिव तूं निषà¥à¤•ाम। था दहन किया नाथ ने काम॥14॥

 

नराकार तूं तूं है परमेशà¥à¤µà¤°à¥¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨-गगन का अहो दिवाकर।

दयासिंधॠतूं करूणा-आकर। दलन-रोग भव-मूल सà¥à¤§à¤¾à¤•र॥15॥

 

निरà¥à¤§à¤¨ जन का चिनà¥à¤¤à¤¾à¤®à¤£à¤¿ तूं। भकà¥à¤¤-काज हित सà¥à¤°à¤¸à¥à¤°à¤¿ जम तूं।

भवसागर हित नौका तूं है। निराशà¥à¤°à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ का आशà¥à¤°à¤¯ तूं है॥16॥

 

जग-कारण तूं आदि विधाता। विमलभाव चैतनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾à¥¤

दीनबंधॠकरूणानिधि ताता। कà¥à¤°à¥€à¤™à¤¾ तेरी अदभà¥à¤¤ दाता॥17॥

 

तूं है अजनà¥à¤®à¤¾ जग निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¥¤ तूं मृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय काल-विजेता।

à¤à¤• मातà¥à¤° तूं जà¥à¤žà¥‡à¤¯-ततà¥à¤µ है। सतà¥à¤¯-शोध से रहे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ है॥18॥

 

जो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ जग के वासी। जनà¥à¤®-मरण कारा-गà¥à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤¸à¥€à¥¤

जनà¥à¤®-मरण के आप पार है। विभॠनिरंजन जगदाधार है॥19॥

 

निरà¥à¤à¤° से जल जैसा आये। पूरà¥à¤µà¤•ाल से रहा समाये।

सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उमंगित होकर आये। जिसने खà¥à¤¦ है सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ बहायें॥20॥

 

शिला छिदà¥à¤° से जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बह निकला। निरà¥à¤à¤° उसको नाम मिल गया।

 

à¤à¤°-à¤à¤° कर निरà¥à¤à¤° बन छाया। मिथà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤µà¤¤à¥à¤µ छिदà¥à¤° से पाया॥21॥

 

कभी भरा और कभी सूखता। जल निसà¥à¤¸à¤‚ग इसे नकारता।

चिदà¥à¤° शूनà¥à¤¯ को सलिल न माने। छिदà¥à¤° किनà¥à¤¤à¥ अभिमान बखाने॥22॥

 

भà¥à¤°à¤®à¤µà¤¶ छिदà¥à¤° समà¤à¤¤à¤¾ जीवन। जल न हो तो कहाठहै जीवन।

दया पातà¥à¤° है छिदà¥à¤° विचार। दमà¥à¤­ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ उसने यों धारा॥23॥

 

यह नरदेह छिदà¥à¤° सम भाई। चेतन सलिल शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€à¥¤

छिदà¥à¤° असंखà¥à¤¯ हà¥à¤† करते हैं। जलकण वही रहा करते हैं॥24॥

 

अतः नाथ हे परम दयाघन। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ नग का करने वेधन।

वगà¥à¤° असà¥à¤¤à¥à¤° करते कर धारण। लीला सब भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के कारण॥25॥

 

जङत छिदà¥à¤° कितने है सारे। भरे जगत में जैसे तारे।

गत हà¥à¤¯à¥‡ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ अभी हैं। यà¥à¤— भविषà¥à¤¯ के भीज अभी हैं॥26॥

 

भिनà¥à¤¨-भिनà¥à¤¨ ये छिदà¥à¤° सभी है। भिनà¥à¤¨-भिनà¥à¤¨ सब नाम गति है।

पृथक-पृथक इनकी पहचान। जग में कोई नहीं अनजान॥27॥

 

चेतन छिदà¥à¤°à¥‹à¤‚ से ऊपर है। " मैं तूं " अनà¥à¤¤à¤° नहीं उचित है।

जहां दà¥à¤µà¥ˆà¤¤ का लेश नहीं है।सतà¥à¤¯ चेतना वà¥à¤¯à¤¾à¤ª रही है॥28॥

 

चेतना का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• विसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥¤ हà¥à¤† अससे पूरित संसार।

" तेरा मेरा " भेद अविचार। परम तà¥à¤¯à¤¾à¤œà¥à¤¯ है बाहà¥à¤¯ विकार॥29॥

 

मेघ गरà¥à¤­ में निहित सलिल जो। जङतः निरà¥à¤®à¤² नहीं भिनà¥à¤¨ सो।

धरती तल पर जब वह आता। भेद-विभेद तभी उपजाता॥30॥

 

जो गोद में गिर जाता है। वह गोदावरी बन जाता है।

जो नाले में गिर जाता है। वह अपवितà¥à¤° कहला जाता है॥31॥

 

सनà¥à¤¤ रूप गोदावरी निरà¥à¤®à¤²à¥¤ तà¥à¤® उसके पाव अविरल जल।

हम नाले के सलिल मलिनतम। भेद यही दोनों में केवल॥32॥

 

करने जीवन सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कृतारà¥à¤¥à¥¤ शरण तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ आये नाथ।

कर जोरे हम शीश à¤à¥à¤•ाते। पावन पà¥à¤°à¤­à¥ पर बलि-बलि जाते॥33॥

 

पातà¥à¤°-मातà¥à¤° से है पावनता। गोदा-जल की अति निरà¥à¤®à¤²à¤¤à¤¾à¥¤

सलिल सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° तो à¤à¤• समान। कहीं न दिखता भिनà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¥34॥

 

गोदावरी का जो जलपातà¥à¤°à¥¤ कैसे पावन हà¥à¤† वह पातà¥à¤°à¥¤

उसके पीछे मरà¥à¤® à¤à¤• है। गà¥à¤£à¤ƒ दोष आधार नेक है॥35॥

 

मेघ-गरà¥à¤­ से जो जल आता। बदल नहीं वह भू-कण पाता।

वही कहलाता है भू-भाग। गोदावरी जल पà¥à¤£à¥à¤¯-सà¥à¤­à¤¾à¤—॥36॥

 

वनà¥à¤¯ भूमि पर गिरा मेघ जो। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ गà¥à¤£ में रहे à¤à¤• जो।

निनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ बना वही कटà¥à¤–ारा। गया भागà¥à¤¯ से वह धिकà¥à¤•ारा॥37॥

 

सदगà¥à¤°à¥‚ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पावन हैं कितने। षडà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤“ं के जीता जिनने।

अति पà¥à¤¨à¥€à¤¤ है गà¥à¤°à¥‚ की छाया। शिरडी सनà¥à¤¤ नाम शà¥à¤­ पाया॥38॥

 

अतः सनà¥à¤¤ गोदावरी जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है। अति पà¥à¤°à¤¿à¤¯ हित भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं।

पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥¤ मानव धरà¥à¤® अवयं साकार॥39॥

 

जग निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† है जब से। पà¥à¤£à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤° सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ तब से।

सतत पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ अविरल जल से। रà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¤ किंचित हà¥à¤† न तल है॥40॥

 

सिया लखन संग राम पधारे। गोदावरी के पà¥à¤£à¥à¤¯ किनारे।

 

यà¥à¤— अतीत वह बीत गया है। सलिल वही कà¥à¤¯à¤¾ शेष रहा है॥41॥

 

जल का पातà¥à¤° वहीं का वह है। जलधि समाया पूरà¥à¤µ सलिल है।

पावनता तब से है वैसी। पातà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ यà¥à¤— के जैसी॥42॥

 

पूरव सलिल जाता है जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ही। नूतन जल आता है तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ही।

इसी भाà¤à¤¤à¤¿ अवतार रीति है। यà¥à¤—-यà¥à¤— में होती पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ है॥43॥

 

बहॠशताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾à¤ संवतॠसर यों। उन शतकों में सनà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤‚।

हो सलिल सरिस सनà¥à¤¤ साकार। ऊरà¥à¤®à¤¿à¤µà¤¿à¤­à¥‚तियां अपरंपार॥44॥

 

सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सनà¥à¤¤ सà¥-धारा। आदि महायà¥à¤— ले अवतार।

सनक सननà¥à¤¦à¤¨ सनत कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥¤ सनà¥à¤¤ वृनà¥à¤¦Â  जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बाढ़ अपारा॥45॥

 

नारद तà¥à¤®à¥à¤¬à¤° पà¥à¤¨à¤ƒ पधारे। धà¥à¤°à¥à¤µ पà¥à¤°à¤¹à¤²à¤¾à¤¦ बली तन धारे।

शबरी अंगद नल हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥¤ गोप गोपिका बिदà¥à¤° महाना॥46॥

 

सनà¥à¤¤ सà¥à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ बढ़ती जाती। शत-शत धारा जलधि समाती।

बाढ़ें बहॠयों यà¥à¤—-यà¥à¤— आती वरà¥à¤£à¤¨ नहीं वाणी कर पाती॥47॥

 

सनà¥à¤¤ रूप गोदावरी तट पर। कलियà¥à¤— के नव मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¹à¤° पर।

भकà¥à¤¤à¤¿-बाढ़ लेकर तà¥à¤® आये। 'सांईनाथ " सà¥à¤¨à¤¾à¤® तà¥à¤® कहाये॥48॥

 

चरण कमल दà¥à¤µà¤¯ दिवà¥à¤¯ ललाम। पà¥à¤°à¤­à¥ सà¥à¤µà¥€à¤•ारों विनत पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤

अवगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤­à¥ हैं अनगिन मेरे। चित न धरों पà¥à¤°à¤­à¥ दोष घनेरे॥49॥

 

मैं अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ पहित पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨à¥¤ पापी दल का परम शिरोमणी।

सच में कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² महाखलकामी। मत ठà¥à¤•राओं अनà¥à¤¤à¤°à¤¯à¤¾à¤®à¥€à¥¥50॥

 

दोषी कैसा भी हो लोहा। पारस सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ बनाता चोखा।

नाला मल से भरा अपावन। सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ करती है पावन॥51॥

 

मेरा मन अति कलà¥à¤· भरा है। नाथ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ अति दया भरा है।

कृपादà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से निरà¥à¤®à¤² कर दें। à¤à¥‹à¤²à¥€ मेरी पà¥à¤°à¤­à¥à¤µà¤° भर दें॥52॥

 

पासस का संग जब मिल जाता। लोह सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ यदि नहीं बन पाता।

तब तो दोषी पारस होता। विरद वही अपना है खोता॥53॥

 

पापी रहा यदि पà¥à¤°à¤­à¥ तव दास। होता आपका ही उपहास।

पà¥à¤°à¤­à¥ तà¥à¤® पारस,मैं हूठलोहा। राखो तà¥à¤® ही अपनी शोभा॥54॥

 

अपराध करे बालक अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥¤ कà¥à¤°à¥‹à¤§ न करती जननी महान।

हो पà¥à¤°à¤­à¥ पà¥à¤°à¥‡à¤® पूरà¥à¤£ तà¥à¤® माता। कृपापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ दीजियें दाता॥55॥

 

सदगà¥à¤°à¥‚ सांई हे पà¥à¤°à¤­à¥ मेरे। कलà¥à¤ªà¤µà¥ƒà¤•à¥à¤· तà¥à¤® करूणा पà¥à¤°à¥‡à¤°à¥‡à¥¤

भवसागर में मेरी नैया। तूं ही भगवान पार करैया॥56॥

 

कामधेनू सम तूं चिनà¥à¤¤à¤¾ मणि।जà¥à¤žà¤¾à¤¨-गगन का तूं है दिनमणि।

सरà¥à¤µ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का तूं है आकार। शिरडी पावन सà¥à¤µà¤°à¥à¤— धरा पर॥57॥

 

पà¥à¤£à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤® है अतिशय पावन। शानà¥à¤¤à¤¿à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ हैं चिदाननà¥à¤¦à¤˜à¤¨à¥¤

पूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹ तà¥à¤® पà¥à¤°à¤£à¤µ रूप हें। भेदरहित तà¥à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¸à¥‚रà¥à¤¯ हें॥58॥

 

विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ अहो पà¥à¤°à¥‚षोतà¥à¤¤à¤®à¥¤ कà¥à¤·à¤®à¤¾ शानà¥à¤¤à¤¿ के परम निकेतन।

भकà¥à¤¤ वृनà¥à¤¦ के उर अभिराम। हों पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤­à¥ पूरण काम॥59॥

 

सदगà¥à¤°à¥‚ नाथ मछिनà¥à¤¦à¤° तूं है। योगी राज जालनà¥à¤§à¤° तूं है।

निवृतà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° तूं हैं। कबीर à¤à¤•नाथ पà¥à¤°à¤­à¥ तूं है॥60॥

 

सावता बोधला भी तूं है। रामदास समरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤­à¥ तूं है।

माणिक पà¥à¤°à¤­à¥ शà¥à¤­ सनà¥à¤¤ सà¥à¤– तूं। तà¥à¤•ाराम हे सांई पà¥à¤°à¤­à¥ तूं॥61॥

 

आपने धारे ये अवतार। ततà¥à¤µà¤¤à¤ƒ à¤à¤• भिनà¥à¤¨ आकार।

रहसà¥à¤¯ आपका अगम अपार। जाति-पाà¤à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤­à¥‹ उस पार॥62॥

 

कोई यवन तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ बतलाता। कोई बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ जतलाता।

कृषà¥à¤£ चरित की महिमा जैसी। लीला की है तà¥à¤®à¤¨à¥‡ तैसी॥63॥

 

गोपीयां कहतीं कृषà¥à¤£ कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾à¥¤ कहे 'लाडले' यशà¥à¤®à¤¤à¤¿ मैया।

कोई कहें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गोपाल। गिरिधर यदूभूषण नंदलाल॥64॥

 

कहें बंशीधर कोई गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥¤ देखे कंस कृषà¥à¤£ में काल।

सखा उदà¥à¤§à¤µ के पà¥à¤°à¤¿à¤¯ भगवान। गà¥à¤°à¥‚वत अरà¥à¤œà¥à¤¨ केशव जान॥65॥

 

हà¥à¤°à¤¦à¤¯ भाव जिसके हो जैसे। सदगà¥à¤°à¥‚ को देखे वह वैसा।

पà¥à¤°à¤­à¥ तà¥à¤® अटल रहे हो à¤à¤¸à¥‡à¥¤ शिरडी थल में धà¥à¤°à¥à¤µ सम बैठे॥66॥

 

रहा मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ पà¥à¤°à¤­à¥ का आवास। तव छिदà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ करà¥à¤£ आभास।

मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® करते लोग अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥¤ सम थे तà¥à¤®à¤•ो राम रहमान॥67॥

 

धूनी तव अगà¥à¤¨à¤¿ साधना। होती जिससे हिनà¥à¤¦à¥‚ भावना।

" अलà¥à¤²à¤¾ मालिक " तà¥à¤® थे जपते। शिवसम तà¥à¤®à¤•ो भकà¥à¤¤ सà¥à¤®à¤°à¤¤à¥‡à¥¥68॥

 

हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® ऊपरी भेद। सà¥à¤­à¤•à¥à¤¤ देखते पूरà¥à¤£ अभेद।

नहीं जानते जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ विदà¥à¤µà¥‡à¤·à¥¤ ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• पर अनगिन वेष॥69॥

 

पारबà¥à¤°à¤®à¥à¤¹ आप सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¥¤ वरà¥à¤£ जाति से मà¥à¤•à¥à¤¤ आसीन।

हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सब को पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡à¥¤ चिदाननà¥à¤¦ गà¥à¤°à¥‚जन रखवारे॥70॥

 

करने हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•। करने दूर सभी मतभेद।

मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ अगà¥à¤¨à¤¿ जोङ कर नाता। लीला करते जन-सà¥à¤–-दाता॥71॥

 

पà¥à¤°à¤­à¥ धरà¥à¤®-जाति-बनà¥à¤§ से हीन। निरà¥à¤®à¤² ततà¥à¤µ सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¥¤

अनà¥à¤­à¤µà¤—मà¥à¤¯ तà¥à¤® तरà¥à¤•ातीत। गूंजे अनहद आतà¥à¤® संगीत॥72॥

 

समकà¥à¤· आपके वाणी हारे। तरà¥à¤• वितरà¥à¤• वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ बेचारे।

परिमति शबदॠहै भावाभास। हूं मैं अकिंचन पà¥à¤°à¤­à¥ का दास॥73॥

 

यदयपि आप हैं शबदाधार। शबà¥à¤¦ बिना न पà¥à¤°à¤—टें गीत।

सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करूं ले शबदाधार। सà¥à¤µà¥€à¤•ारों हें दिवà¥à¤¯ अवतार॥74॥

 

कृपा आपकी पाकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ गाता गà¥à¤£-गण यह अनà¥à¤—ामी।

शबदों का ही माधà¥à¤¯à¤® मेरा। भकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® से है उर पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¾à¥¥75॥

 

सनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की महिमा है नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€à¥¤ ईशर की विभूति अनियारी।

सनà¥à¤¤ सरसते सामà¥à¤¯ सभी से। नहीं रखते बैर किसी से॥76॥

 

हिरणà¥à¤¯à¤•शिपॠरावंअ बलवान। विनाश हà¥à¤† इनका जग जान।

देव-दà¥à¤µà¥‡à¤· था इसका कारण। सनà¥à¤¤ दà¥à¤µà¥‡à¤· का करें निवारण॥77॥

 

गोपीचनà¥à¤¦ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ कराये। जालनà¥à¤§à¤° मन में नहीं लाये।

महासनà¥à¤¤ के किया कà¥à¤·à¤®à¤¾ था। परम शानà¥à¤¤à¤¿ का वरण किया था॥78॥

 

बङकर नृप-उदà¥à¤§à¤¾à¤° किया था। दीरà¥à¤˜ आयॠवरदान दिया था।

सनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की महिमा जग-पावन। कौन कर सके गà¥à¤£ गणगायन॥79॥

 

सनà¥à¤¤ भूमि के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिवाकर। कृपा जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ देते करà¥à¤£à¤¾à¤•र।

शीतल शशि सम सनà¥à¤¤ सà¥à¤–द हैं। कृपा कौमà¥à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤–र अवनि है॥80॥

 

 

है कसà¥à¤¤à¥‚री सम मोहक संत। कृपा है उनकी सरस सà¥à¤—ंध।

ईखरसवत होते हैं संत। मधà¥à¤° सà¥à¤°à¥‚चि जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सà¥à¤–द बसंत॥81॥

 

साधà¥-असाधॠसभी पा करूणा। दृषà¥à¤Ÿà¤¿ समान सभी पर रखना।

पापी से कम पà¥à¤¯à¤¾à¤° न करते। पाप-ताप-हर-करूणा करते॥82॥

 

जो मल-यà¥à¤¤ है बहकर आता। सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ जल में आन समाता।

निरà¥à¤®à¤² मंजूषा में रहता। सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ जल नहीं वह गहता॥83॥

 

वही वसन इक बार था आया। मंजूषा में रहा समाया।

अवगाहन सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ में करता। धूल कर निरà¥à¤®à¤² खà¥à¤¦ को करता॥84॥

 

सà¥à¤¦à¥à¤°à¤¢à¤¼ मंजूषा है बैकà¥à¤£à¥à¤ à¥¤ अलौकिक निषà¥à¤ à¤¾ गंग तरंग।

जीवातà¥à¤®à¤¾ ही वसन समà¤à¤¿à¤¯à¥‡à¥¤ षडॠविकार ही मैल समà¤à¤¿à¤¯à¥‡à¥¥85॥

 

जग में तव पद-दरà¥à¤¶à¤¨ पाना। यही गंगा में डूब नहाना।

पावन इससे होते तन-मन। मल-विमà¥à¤•à¥à¤¤ होता वह ततà¥à¤•à¥à¤·à¤£à¥¥86॥

 

दà¥à¤–द विवश हैं हम संसारी। दोष-कालिमा हम में भारी।

सनà¥à¤¤ दरश के हम अधिकारी। मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ हेतॠनिज बाट निहारी॥87॥

 

गोदावरी पूरित निरà¥à¤®à¤² जल। मैली गठरी भीगी ततà¥à¤œà¤²à¥¤

बन न सकी यदि फिर भी निरà¥à¤®à¤²à¥¤ कà¥à¤¯à¤¾ न दोषयà¥à¤¤ गोदावरि जल॥88॥

 

आप सघन हैं शीतल तरूवर।शà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पथिक हम डगमग पथ हम।

तपे ताप तà¥à¤°à¤¯ महापà¥à¤°à¤–र तम। जेठ दà¥à¤ªà¤¹à¤°à¥€ जलते भूकण॥89॥

 

ताप हमारे दूर निवारों। महा विपद से आप उबारों।

करों नाथ तà¥à¤® करूणा छाया। सरà¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¤ तेरी पà¥à¤°à¤­à¥ दया॥90॥

 

परम वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ वह छायातरू है। दूर करे न ताप पà¥à¤°à¤–र हैं।

जो शरणागत को न बचाये। शीतल तरू कैसे कहलाये॥91॥

 

कृपा आपकी यदि नहीं पाये। कैसे निरà¥à¤®à¤² हम रह जावें।

पारथ-साथ रहे थे गिरधर। धरà¥à¤® हेतॠपà¥à¤°à¤­à¥ पाà¤à¤šà¤œà¤¨à¥à¤¯-धर॥92॥

 

सà¥à¤—à¥à¤°à¥€à¤µ कृपा से दनà¥à¤œ बिभीषण। पाया पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¤à¤ªà¤¾à¤² रघà¥à¤ªà¤¤à¤¿ पद।

भगवत पाते अमित बङाई। सनà¥à¤¤ मातà¥à¤° के कारण भाई॥93॥

 

नेति-नेति हैं वेद उचरते। रूपरहित हैं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® विचरते।

महामंतà¥à¤° सनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने पाये। सगà¥à¤£ बनाकर भू पर लायें॥94॥

 

दामा ठदिया रूप महार। रà¥à¤•मणि-वर तà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥‹à¤•à¥à¤¯ आधार।

चोखी जी ने किया कमाल। विषà¥à¤£à¥ को दिया करà¥à¤® पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¥¥95॥

 

महिमा सनà¥à¤¤ ईश ही जानें। दासनà¥à¤¦à¤¾à¤¸ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बन जावें।

सचà¥à¤šà¤¾ सनà¥à¤¤ बङपà¥à¤ªà¤¨ पाता। पà¥à¤°à¤­à¥ का सà¥à¤œà¤¨ अतिथि हो जाता॥96॥

 

à¤à¤¸à¥‡ सनà¥à¤¤ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥€à¤‚ सà¥à¤–दाता। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥€à¤‚ पिता हो तà¥à¤® ही माता।

सदगà¥à¤°à¥ सांईनाथ हमारे। कलियà¥à¤— में शिरडी अवतारें॥97॥

 

लीला तिहारी नाथ महान। जन-जन नहीं पायें पहचान।

जिवà¥à¤¹à¤¾ कर ना सके गà¥à¤£à¤—ान। तना हà¥à¤† है रहसà¥à¤¯ वितान॥98॥

 

तà¥à¤®à¤¨à¥‡ जल के दीप जलायें। चमतà¥à¤•ार जग में थे पायें।

भकà¥à¤¤ उदà¥à¤§à¤¾à¤° हित जग में आयें। तीरथ शिरडी धाम बनाà¤à¥¥99॥

 

जो जिस रूप आपको धà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚। देव सरूप वही तव पायें।

सूकà¥à¤·à¤® तकà¥à¤¤ निज सेज बनायें। विचितà¥à¤° योग सामरà¥à¤¥ दिखायें॥100॥

 

 

पà¥à¤¤à¥à¤° हीन सनà¥à¤¤à¤¤à¤¿ पा जावें। रोग असाधà¥à¤¯ नहीं रह जावें।

रकà¥à¤·à¤¾ वह विभूति से पाता। शरण तिहारी जो भी आता॥101॥

 

 

भकà¥à¤¤ जनों के संकट हरते। कारà¥à¤¯ असमà¥à¤­à¤µ समà¥à¤­à¤µ करतें।

जग की चींटी भार शूनà¥à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚। समकà¥à¤· तिहारे कठिन कारà¥à¤¯ तà¥à¤¯à¥‹à¤‚॥102॥

 

 

सांई सदगà¥à¤°à¥‚ नाथ हमारें। रहम करो मà¥à¤ पर हे पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡à¥¤

शरणागत हूठपà¥à¤°à¤­à¥ अपनायें। इस अनाथ को नहीं ठà¥à¤•रायें॥103॥

 

 

पà¥à¤°à¤­à¥ तà¥à¤® हो राजà¥à¤¯ राजेशà¥à¤µà¤°à¥¤ कà¥à¤¬à¥‡à¤° के भी परम अधीशà¥à¤µà¤°à¥¤

देव धनà¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤°à¥€ तव अवतार। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥¥104॥

 

 

बहॠदेवों की पूजन करतें। बाहà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ हम संगà¥à¤°à¤¹ करते।

पूजन पà¥à¤°à¤­à¥ की शीधी-साधा। बाहà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ की नहीं उपाधी॥105॥

 

 

जैसे दीपावली तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥¤ आये पà¥à¤°à¤–र सूरज के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤

दीपक जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤‚ कहां वह लाये। सूरà¥à¤¯ समकà¥à¤· जो जगमग होवें॥106॥

 

 

जल कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ भू के पास। बà¥à¤à¤¾ सके जो सागर पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥¤

अगà¥à¤¨à¤¿ जिससे उषà¥à¤®à¤¾ पायें। à¤à¤¸à¤¾ वसà¥à¤¤à¥ कहां हम पावें॥107॥

 

 

जो पदारà¥à¤¥ हैं पà¥à¤°à¤­à¥ पूजन के। आतà¥à¤®-वश वे सभी आपके।

हे समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥‚ देव हमारे। निरà¥à¤—à¥à¤£ अलख निरंजन पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡à¥¥108॥

 

 

ततà¥à¤µà¤¦à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ का दरà¥à¤¶à¤¨ कà¥à¤› है। भकà¥à¤¤à¤¿ भावना-हà¥à¤°à¤¦à¤¯ सतà¥à¤¯ हैं।

केवल वाणी परम निररà¥à¤¥à¤•। अनà¥à¤­à¤µ करना निज में सारà¥à¤¥à¤•॥109॥

 

 

अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कंरू तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ सांई। वह समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ जग में नहीं पाई।

जग वैभव तà¥à¤®à¤¨à¥‡ उपजाया। कैसे कहूं कमी कà¥à¤› दाता॥110॥

 

 

" पतà¥à¤°à¤‚-पà¥à¤·à¥à¤ªà¤‚ " विनत चढ़ाऊं। पà¥à¤°à¤­à¥ चरणों में चितà¥à¤¤ लगाऊं।

जो कà¥à¤› मिला मà¥à¤à¥‡ हें सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ करूं समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ तन-मन वाणी॥111॥

 

 

पà¥à¤°à¥‡à¤®-अशà¥à¤°à¥ जलधार बहाऊं। पà¥à¤°à¤­à¥ चरणों को मैं नहलाऊं।

चनà¥à¤¦à¤¨ बना हà¥à¤°à¤¦à¤¯ निज गारूं। भकà¥à¤¤à¤¿ भाव का तिलक लगाऊं॥112॥

 

 

शबà¥à¤¦à¤¾à¤­à¥‚षà¥à¤£-कफनी लाऊं। पà¥à¤°à¥‡à¤® निशानी वह पहनाऊं।

पà¥à¤°à¤£à¤¯-सà¥à¤®à¤¨ उपहार बनाऊं। नाथ-कंठ में पà¥à¤²à¤• चढ़ाऊं॥113॥

 

 

आहà¥à¤¤à¤¿ दोषों की कर डालूं। वेदी में वह होम उछालूं।

दà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° धूमà¥à¤° यों भागे। वह दà¥à¤°à¥à¤—ंध नहीं फिर लागे॥114॥

 

 

अगà¥à¤¨à¤¿ सरिस हैं सदगà¥à¤°à¥‚ समरà¥à¤¥à¥¤ दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£-धूप करें हम अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤à¥¤

सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾ जलकर जब होता है। तदरूप ततà¥à¤•à¥à¤·à¤£ बन जाता है॥115॥

 

 

धूप-दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ जब उस पर चढ़ता। अगà¥à¤¨à¤¿ जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में है जलता।

सà¥à¤°à¤­à¤¿-असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ कहां रहेगा। दूर गगन में शूनà¥à¤¯ बनेगा॥116॥

 

 

पà¥à¤°à¤­à¥ की होती अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ रीति। बनती कà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥ जल कर विभà¥à¤¤à¤¿à¥¤

सदगà¥à¤£ कà¥à¤¨à¥à¤¦à¤¨ सा बन दमके। शाशवत जग बढ़ निरखे परखे॥117॥

 

 

निरà¥à¤®à¤² मन जब हो जाता है। दà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤•ार तब जल जाता है।

गंगा जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पावन है होती। अविकल दूषण मल वह धोती॥118॥

 

 

सांई के हित दीप बनाऊं। सतà¥à¤µà¤° माया मोह जलाऊं।

विराग पà¥à¤°à¤•ाश जगमग होवें। राग अनà¥à¤§ वह उर का खावें॥119॥

 

 

पावन निषà¥à¤ à¤¾ का सिंहासन। निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ करता पà¥à¤°à¤­à¥ के कारण।

कृपा करें पà¥à¤°à¤­à¥ आप पधारें। अब नैवेदà¥à¤¯-भकà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¥€à¤•ारें॥120॥

 

 

भकà¥à¤¤à¤¿-नैवेदà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤­à¥ तà¥à¤® पाओं। सरस-रास-रस हमें पिलाओं।

माता, मैं हूठवतà¥à¤¸ तिहारा। पाऊं तव दà¥à¤—à¥à¤§à¤¾à¤®à¥ƒà¤¤ धारा॥121॥

 

 

मन-रूपी दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ चà¥à¤•ाऊं। मन में नहीं कà¥à¤› और बसाऊं।

अहमॠभाव सब करूं समà¥à¤ªà¤°à¥à¤£à¥¤ अनà¥à¤¤à¤ƒ रहे नाथ का दरà¥à¤ªà¤£à¥¥122॥

 

 

बिनती नाथ पà¥à¤¨à¤ƒ दà¥à¤¹à¤°à¤¾à¤Šà¤‚। शà¥à¤°à¥€ चरणों में शीश नमाऊं।

सांई कलियà¥à¤— बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® अवतार। करों पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® मेरे सà¥à¤µà¥€à¤•ार॥123॥

 

 

 

ॠसांई राम!!!

 

 

~~~पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤•~~~

 

         

 

शानà¥à¤¤ चितà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤µà¤¤à¤¾à¤° जय। दया-निधान सांईनाथ जय।

करà¥à¤£à¤¾ सागर सतà¥à¤¯à¤°à¥‚प जय। मयातम संहारक पà¥à¤°à¤­à¥ जय॥124॥

 

 

जाति-गोतà¥à¤°-अतीत सिदà¥à¤§à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥¤ अचिनà¥à¤¤à¤¨à¥€à¤¯à¤‚ पाप-ताप-हर।

पाहिमामॠशिव पाहिमामॠशिव। शिरडी गà¥à¤°à¤¾à¤®-निवासिय केशव॥125॥

 

 

जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विधाता जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° जय। मंगल मूरत मंगलमय जय।

भकà¥à¤¤-वरà¥à¤—मानस-मराल जय। सेवक-रकà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤£à¤¤à¤¾à¤ªà¤¾à¤² जय॥126॥

 

 

सà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ रचयिता बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जय-जय। रमापते हे विषà¥à¤£à¥ रूप जय।

जगत पà¥à¤°à¤²à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¤¾ शिव जय-जय। महारà¥à¤¦à¥à¤° हें अभà¥à¤¯à¤‚कर जय॥127॥

 

 

वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• ईश समाया जग तूं। सरà¥à¤µà¤²à¥‹à¤• में छाया पà¥à¤°à¤­à¥ तूं।

तेरे आलय सरà¥à¤µà¤¹à¥à¤°à¤¦à¤¯ हैं। कण-कण जग सब सांई ईशà¥à¤µà¤° है॥128॥

 

 

कà¥à¤·à¤®à¤¾ करे अपराध हमारें। रहे याचना सदा मà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‡à¥¤

भà¥à¤°à¤®-संशय सब नाथ निवारें। राग-रंग-रति से उदà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‡à¥¥129॥

 

 

मैं हूठबछङा कामधेनॠतूं। चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤•ानà¥à¤¤à¤¾ मैं पूरà¥à¤£ इनà¥à¤¦à¥ तूं।

नमामि वतà¥à¤¸à¤² पà¥à¤°à¤£à¤®à¥à¤¯ जय। नाना सà¥à¤µà¤° बहॠरूप धाम जय॥130॥

 

 

मेरे सिर पर अभय हसà¥à¤¤ दों। चिनà¥à¤¤ रोग शोक तà¥à¤® हर लो।

दासगणू को पà¥à¤°à¤­à¥ अपनाओं। 'भूपति' के उर में बस जओं॥131॥

 

 

कवि सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कर जोरे गाता। हों अनà¥à¤•मà¥à¤ªà¤¾ सदा विधाता।

पाप-ताप दà¥à¤ƒà¤– दैनà¥à¤¯ दूर हो। नयन बसा नित तव सरूप हों॥132॥

 

 

जà¥à¤¯à¥Œ गौ अपना वतà¥à¤¸ दà¥à¤²à¤¾à¤°à¥‡à¥¤Â  तà¥à¤¯à¥Œ साईं माठदास दà¥à¤²à¤¾à¤°à¥‡à¥¤

निरà¥à¤¦à¤¯ नहीं बनो जगदमà¥à¤¬à¥‡à¥¤Â  इस  शिशॠको दà¥à¤²à¤¾à¤°à¥‹ अंबे ॥133॥

 

 

चनà¥à¤¦à¤¨ तरà¥à¤µà¤° तà¥à¤® हो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ हीन-पौध हूं मैं अनà¥à¤—ामी।

सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ समां तू है अतिपावन। दà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤° रत मैं करà¥à¤¦à¤®à¤µà¤¤ ॥134॥

 

 

तà¥à¤à¤¸à¥‡ लिपट रहू यदि मलयà¥à¤¤à¥¤ कौन कहे तà¥à¤à¤•ो चनà¥à¤¦à¤¨ तरà¥à¥¤

सदगà¥à¤°à¥ तेरी तभी बड़ाई। तà¥à¤¯à¤¾à¤—ो मन जब सतत बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ ॥135॥

 

 

कसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का जब साथ मिले। अति माटी का तब मोल बड़े।

सà¥à¤°à¤­à¤¿à¤¤ सà¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ का साथ मिले। धागे को भी सम सà¥à¤°à¤­à¤¿ मिले ॥136॥

 

 

महान जनों की होती रीति। जीना पर हà¥à¤ˆ हैं उनकी पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¥¤

वही पदारà¥à¤¥ होता अनमोल। नहीं जग में उसका फिर तौला ॥137॥

 

 

रहा नंदी का भसà¥à¤® कोपीना। संचय शिव ने किया आधीन।

गौरव उसने जन से पाया। शिव संगत ने यश फैलाया॥138॥

 

 

यमà¥à¤¨à¤¾ तट पर रचायें। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में धूम मचायें।  

गोपीरंजन करें मà¥à¤°à¤¾à¤°à¥€à¥¤Â  भकà¥à¤¤-वृनद मोहें गिरधारी॥139॥

 

 

होंवें दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤­à¥‹à¤‚ करूणाघन।  मेरे पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤® नाथ हà¥à¤°à¤¦à¤¯à¤˜à¤¨à¥¤

अधमाधम को आन तारियें। कà¥à¤·à¤®à¤¾ सिनà¥à¤§à¥ अब कà¥à¤·à¤®à¤¾ धारियें॥140॥

 

 

अभà¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ पाऊ। अंतरयामी से यह चाहूं।

जिसमें हित हो मेरे दाता। वही दीजियें मà¥à¤à¥‡ विधाता॥141॥

 

 

मैं तो कटॠजलहूं पà¥à¤°à¤­à¥ खारा। तà¥à¤® में मधॠसागर लहराता।

कृपा-बिंदॠइक पाऊ तेरा। मधà¥à¤°à¤¿à¤® मधॠबन जायें मेरा॥142॥

 

हे पà¥à¤°à¤­à¥ आपकी शकà¥à¤¤à¤¿ अपार। तिहारे सेवक हम सरकार। 

 

खारा जलधि करें पà¥à¤°à¤­à¥ मीठा। दासगणॠपावे मन-चीता॥143॥ 

 

 

सिदà¥à¤§à¤µà¥ƒà¤¨à¥à¤¦ का तà¥à¤‚ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥¤ वैभव वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® विराट। 

मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ अनेक पà¥à¤°à¤•ार अभाव। अकिंचन नाथ करें निरà¥à¤µà¤¾à¤¹à¥¥144॥ 

 

 

कथन अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• निरा वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ हैं। आधार à¤à¤• गà¥à¤°à¥ समरà¥à¤¥ हैं । 

माठकी गोदी में जब सà¥à¤¤ हो। भयभीत कहो कैसे तब हो॥145॥  

 

 

जो यह सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पड़े पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वासर। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾à¤°à¥à¤ªà¤¿à¤¤ हो गाये सादर । 

मन-वाà¤à¤›à¤¿à¤¤ फल नाथ अवश दें। शाशवत शानà¥à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° दें॥146॥ 

 

 

सिदà¥à¤§ वरदान सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° दिलावे। दिवà¥à¤¯ कवच सम सतत बचावें। 

सà¥à¤«à¤² वरà¥à¤· में पाठक पावें। जग तà¥à¤°à¤¯à¤¤à¤¾à¤ª नहीं रह जावें॥147॥  

 

 

निज शà¥à¤­à¤•र में सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° समà¥à¤­à¤¾à¤²à¥‹à¥¤ शà¥à¤šà¤¿à¤ªà¤µà¤¿à¤¤à¥à¤° हो सà¥à¤µà¤° को ढालो। 

पà¥à¤°à¤­à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पावन मानस कर लो। सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पठन शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से कर लो॥148॥  

 

 

गà¥à¤°à¥‚वार दिवस गà¥à¤°à¥ का मानों। सतगà¥à¤°à¥ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ चितà¥à¤¤ में ठानों। 

सà¥à¤¥à¥‹à¤¥à¤°à¤¾ पठन हो अति फलदाई। महापà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µà¥€ सदा-सहाई॥149॥  

 

 

वà¥à¤°à¤¤ à¤à¤•ादशी पà¥à¤£à¥à¤¯ सà¥à¤¹à¤¾à¤ˆà¥¤ पठन सà¥à¤¦à¤¿à¤¨ इसका कर भाई। 

निशà¥à¤šà¤¯ चमतà¥à¤•ार थम पाओ। शà¥à¤­ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कलà¥à¤ªà¤¤à¤°à¥ पाओ॥150॥  

 

 

उतà¥à¤¤à¤® गति सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾à¥¤ सदगà¥à¤°à¥‚ दरà¥à¤¶à¤¨ पाठक पाता। 

इह परलोक सभी हो शà¥à¤­à¤•र। सà¥à¤– संतोष पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सतà¥à¤µà¤°à¥¥151॥  

 

 

सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पारायण सदà¥à¤¯: फल दे। मनà¥à¤¦-बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ को बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¬à¤² दे।

हो संरकà¥à¤·à¤• अकाल मरण से। हों शतायॠजा सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पठन से॥152॥  

 

 

निरà¥à¤§à¤¨ धन पायेगा भाई। महा कà¥à¤¬à¥‡à¤° सतà¥à¤¯ शिव साईं।

पà¥à¤°à¤­à¥ अनà¥à¤•मà¥à¤ªà¤¾ सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° समाई। कवि-वाणी शà¥à¤­-सà¥à¤—म सहाई॥153॥  

 

 

संततिहीन पायें सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥¤ दायक सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पठन कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥¤

मà¥à¤•à¥à¤¤ रोग से होगी काया। सà¥à¤–कर हो साईं की छाया॥154॥  

 

 

सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤°-पाठ नित मंगलमय है। जीवन बनता सà¥à¤–द पà¥à¤°à¤–र है। 

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° गहनतर पाओ। चिंतामà¥à¤•à¥à¤¤ जियो हरà¥à¤·à¤¾à¤“॥155॥  

 

 

आदर उर का इसे चढ़ाओ। अंत  दà¥à¤°à¤¢à¤¼ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ बासाओ।

तरà¥à¤• वितरà¥à¤• विलग कर साधो। शà¥à¤¦à¥à¤§ विवेक बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ अवराधो॥156॥  

 

 

यातà¥à¤°à¤¾ करो शिरडी तीरà¥à¤¥ की। लगन लगी को नाथ चरण की।

दीन दà¥à¤–ी का आशà¥à¤°à¤¯ जो हैं। भकà¥à¤¤-काम-कलà¥à¤ª-दà¥à¤°à¥à¤® सोहें॥157॥  

 

 

सà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ बाबा की पाऊं। पà¥à¤°à¤­à¥ आजà¥à¤žà¤¾ पा सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° रचाऊं। 

बाबा का आशीष न होता। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ यह गान पतित से होता॥158॥  

 

 

शक शंवत अठरह चालीसा। भादों मास शà¥à¤•à¥à¤² गौरीशा। 

शाशिवार गणेश चौथ शà¥à¤­ तिथि। पूरà¥à¤£ हà¥à¤ˆ साईं की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¥¥159॥  

 

 

पà¥à¤£à¥à¤¯ धार रेवा शà¥à¤­ तट पर।  माहेशà¥à¤µà¤° अति पà¥à¤£à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤² पर। 

साईंनाथ सà¥à¤¤à¤µà¤¨ मंजरी। राजà¥à¤¯-अहिलà¥à¤¯à¤¾ भू में उतारी॥160॥   

 

 

मानà¥à¤§à¤¾à¤¤à¤¾ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨à¥¤ पà¥à¤°à¤—टा सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° जहां पर पावन।

हà¥à¤† मन पर साईं अधिकार। समà¤à¥‹ मंतà¥à¤° साईं उदगार॥161॥  

 

 

दासगणॠकिंकर साईं का। रज-कण संत साधॠचरणों का।

लेख-बदà¥à¤§ दामोदर करते। भाषा गायन ' भूपति' करते॥162॥  

 

 

साईंनाथ सà¥à¤¤à¤µà¤¨ मंजरी। तारक भव-सागर-हà¥à¤°à¤¦-तनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¥¤

सारे जग में साईं छाये। पाणà¥à¤¡à¥à¤°à¤‚ग गà¥à¤£ किकंर गाये॥163॥  

 

शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿à¤¹à¤°à¤¾à¤ªà¤°à¥à¤£à¤®à¤¸à¥à¤¤à¥ | शà¥à¤­à¤‚ भवतॠ| पà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤• वरदा विठà¥à¤ à¤² |

सीताकांत सà¥à¤®à¤°à¤£ | जय जय राम | पारà¥à¤µà¤¤à¥€à¤ªà¤¤à¥‡ हर हर महादेव |

 

शà¥à¤°à¥€ सदगà¥à¤°à¥ साईंनाथ महाराज की जय ||

शà¥à¤°à¥€ सदगà¥à¤°à¥ साईंनाथपरà¥à¤£à¤®à¤¸à¥à¤¤à¥ ||

 

जय सांई राम!!!

 

 

ॠसांई राम!!!

 

शà¥à¤°à¥€ सदगà¥à¤°à¥‚ सांईनाथ के गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ वचन~~~

 

शिरडीस जà¥à¤¯à¤¾à¤šà¥‡ लागतील पाय।

टळती अपाय सरà¥à¤µ तà¥à¤¯à¤¾à¤šà¥‡ ॥1॥

 

शिरडी की पावन भूमि पर पाà¤à¤µ रखेगा जो भी कोई ॥

ततà¥à¤•à¥à¤·à¤£ मिट जाà¤à¤à¤—े कषà¥à¤Ÿ उसके,हो जो भी कोई ॥1॥

 

माà¤à¥à¤¯à¤¾ समाधीची पायरी चढेल॥

दà¥à¤ƒà¤– हे हरेल सरà¥à¤µ तà¥à¤¯à¤¾à¤šà¥‡à¥¥2॥

 

चढ़ेगा जो मेरी समाधि की सीढ़ी॥

मिटेगा उसका दà¥à¤ƒà¤– और चिंताà¤à¤ सारी॥2॥

 

जरी हे शरीर गेलो मी टाकून ॥

तरी मी धावेन भकà¥à¤¤à¤¾à¤¸à¤¾à¤ à¥€ ॥3॥

 

गया छोङ इस देह को फिर भी।

दौङा आऊà¤à¤—ा निजभकà¥à¤¤ हेतॠ॥3॥

 

नवसास माà¤à¥€ पावेल समाधी॥

धरा दà¥à¤°à¤¢ बà¥à¤¦à¥à¤§à¥€ माà¤à¥à¤¯à¤¾ ठायी ॥4॥

 

मनोकामना पूरà¥à¤£ करे यह मेरी समाधि।

रखो इस पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और दà¥à¤°à¤¢à¤¼ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¥¥4॥

 

नितà¥à¤¯ मी जिवंत जाणा हेंची सतà¥à¤¯à¥¥

नितà¥à¤¯ घà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¥€à¤¤ अनà¥à¤­à¤µà¥‡à¥¥5॥

 

नितà¥à¤¯ हूठजीवित मैं,जानो यह सतà¥à¤¯à¥¥

कर लो पà¥à¤°à¤šà¥€à¤¤à¤¿,सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के अनà¥à¤­à¤µ से॥5॥ 

 

 

जय सांई राम!!!

 

 

ॠसांई राम!!!

 

शरण मज आला आणि वाया गेला॥

दाखवा दाखवा à¤à¤¸à¤¾ कोणी॥6॥

 

मेरी शरण में आ के कोई गया हो खाली।

à¤à¤¸à¤¾ मà¥à¤à¥‡ बता दे,कोई à¤à¤• भी सवाली॥6॥  

 

जो जो मज भजे जैशा जैशा भावे॥

तैसा तैसा पावे मीही तà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€à¥¥7॥

 

भजेगा मà¥à¤à¤•ो जो भी जिस भाव से॥

पाà¤à¤—ा मà¥à¤à¤•ो वह उसी भाव से॥7॥ 

 

तà¥à¤®à¤šà¤¾ मी भार वाहीन सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ ॥

नवà¥à¤¹à¥‡ हें अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वचन माà¤à¥‡à¥¥8॥

 

तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सब भार उठाऊà¤à¤—ा मैं सरà¥à¤µà¤¥à¤¾à¥¥

नहीं इसमें संशय,यह वचन है मेरा॥8॥

 

जाणा येथे आहे सहायà¥à¤¯ सरà¥à¤µà¤¾à¤‚स॥

मागे जे जे तà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ते ते लाभे॥9॥

 

मिलेगा सहाय यहाठसबको ही जाने॥

मिलेगा उसको वही,जो भी माà¤à¤—ो॥9॥

 

माà¤à¤¾ जो जाहला काया वाचा मनीं ॥

तयाचा मी ऋणी सरà¥à¤µà¤•ाळ॥10॥

 

हो गया जो तन मन वचन से मेरा॥

ऋणी हूठमैं उसका सदा-सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ ही॥10॥

 

साई मà¥à¤¹à¤£à¥‡ तोचि, तोचि à¤à¤¾à¤²à¤¾ धनà¥à¤¯à¥¥

à¤à¤¾à¤²à¤¾ जो अननà¥à¤¯ माà¤à¥à¤¯à¤¾ पायी॥11॥

 

कहे सांई वही हà¥à¤† धनà¥à¤¯ धनà¥à¤¯à¥¤

हà¥à¤† जो मेरे चरणों से अननà¥à¤¯à¥¥11॥

 

॥शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सदगà¥à¤°à¥Â  साईनाथ महाराज की जय ॥

 

॥ॠराजाधिराज योगिराज परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯ सांईनाथ महाराज॥

 

॥शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सदगà¥à¤°à¥Â  साईनाथ महाराज की जय ॥

 

 

जय सांई राम!!!

 

Source - http://sai-ka-aangan.org/religious-books-references/~~~-~~~/msg35185/#msg35185

Written by - Ms. Tana ~ Global Moderator " Sai-Ka-Aangan " Forum

 

 

 

 

 

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