Guest guest Posted October 30, 2009 Report Share Posted October 30, 2009 jai sainath, Hopefully by lord Sainath's grace someone can translate this work into English alphabets and along put its meaning like the SAI AMRITVANI.  OM sairam  Navind 2009/10/29 rOhit beHaL <>  ~~ Sri Sai Nath Stavan Manjari ~~ in Hindi _ ॠसांई राम!!! शà¥à¤°à¥€ दासगणॠमहाराज कृत शà¥à¤°à¥€ सांईनाथ सà¥à¤¤à¤µà¤¨ मंजरी~~ हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤—ायन ठाकà¥à¤° à¤à¥‚पति सिंह ॥ॠशà¥à¤°à¥€ गणेशाय नमः॥ ॥ॠशà¥à¤°à¥€ सांईनाथाय नमः॥        मयूरेशà¥à¤µà¤° जय सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥¤ सरà¥à¤µ साकà¥à¤·à¥€ हे गौरिकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥¤ अचिनà¥à¤¤à¥à¤¯ सरूप हे लंबोदर। रकà¥à¤·à¤¾ करो मम,सिदà¥à¤§à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥¥1॥ सकल गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का तूं है सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ गणà¥à¤ªà¤¤à¤¿ तूं है अनà¥à¤¤à¤°à¤¯à¤¾à¤®à¥€à¥¤ अखिल शासà¥à¤¤à¥à¤° गाते तव महिमा। à¤à¤¾à¤²à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° मंगल गज वदना॥2॥ माठशारदे वाग विलासनी। शबà¥à¤¦-सà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ की अखिल सà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¨à¥€à¥¤ जगजà¥à¤œà¤¨à¤¨à¥€ तव शकà¥à¤¤à¤¿ अपार। तà¥à¤à¤¸à¥‡ अखिल जगत वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥¥3॥ कवियों की तूं शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€à¥¤ सारे जग की à¤à¥‚षण दातà¥à¤°à¥€à¥¤ तेरे चरणों के हम बंदे। नमो नमो माता जगदमà¥à¤¬à¥‡à¥¥4॥ पूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हे सनà¥à¤¤ सहारे। पंढ़रीनाथ रूप तà¥à¤® धारे। करूणासिंधॠजय दयानिधान। पांढ़à¥à¤°à¤‚ग नरसिंह à¤à¤—वान॥5॥ सारे जग का सूतà¥à¤°à¤§à¤¾à¤° तूं। इस संसà¥à¤°à¤¤à¤¿ का सà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¾à¤° तूं। करते शासà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चिंतन। ततॠसà¥à¤µà¤°à¥‚प में रमते निशदिन॥6॥ जो केवल पोथी के जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ । नहीं पाते तà¥à¤à¤•ो वे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¥¤ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¹à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤—टाये वाणी। वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ विवाद करें अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€à¥¥7॥ तà¥à¤à¤•ो जानते सचà¥à¤šà¥‡ संत। पाये नहीं कोई à¤à¥€ अंत। पद-पंकज में विनत पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤ जयति-जयति शिरडी घनशà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥¥8॥ पंचवकà¥à¤¤à¥à¤° शिवशंकर जय हो। पà¥à¤°à¤²à¤¯à¤‚कर अà¤à¥à¤¯à¤‚कर जय हो। जय नीलकणà¥à¤ हे दिगंबर। पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ के पà¥à¤°à¤£à¤µ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¥¥9॥ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ से जपता जो तव नाम। उसके होते पूरà¥à¤£ सब काम। सांई नाम महा सà¥à¤–दाई। महिमा वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जग में छाई॥10॥ पदारविनà¥à¤¦ में करूं पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤ सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° लिखूं पà¥à¤°à¤à¥ तेरे नाम। आशीष वरà¥à¤·à¤¾ करो नाथ हे । जगतपति हे à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ हे॥11॥ दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ को करूं पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤ विषà¥à¤£à¥ नारायण जो सà¥à¤–धाम। तà¥à¤•ाराम से सनà¥à¤¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को। पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® शत शत à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को॥12॥ जयति-जयति जय जय सांई नाथ हे। रकà¥à¤·à¤• तूं ही दीनदयाल हे। मà¥à¤à¤•ो कर दो पà¥à¤°à¤à¥ सनाथ। शरणागत हूं तेरे दà¥à¤µà¤¾à¤° हे॥13॥ तूं है पूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® à¤à¤—वान। विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¥‚षोतà¥à¤¤à¤® तूं सà¥à¤–धाम। उमापति शिव तूं निषà¥à¤•ाम। था दहन किया नाथ ने काम॥14॥ नराकार तूं तूं है परमेशà¥à¤µà¤°à¥¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨-गगन का अहो दिवाकर। दयासिंधॠतूं करूणा-आकर। दलन-रोग à¤à¤µ-मूल सà¥à¤§à¤¾à¤•र॥15॥ निरà¥à¤§à¤¨ जन का चिनà¥à¤¤à¤¾à¤®à¤£à¤¿ तूं। à¤à¤•à¥à¤¤-काज हित सà¥à¤°à¤¸à¥à¤°à¤¿ जम तूं। à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र हित नौका तूं है। निराशà¥à¤°à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ का आशà¥à¤°à¤¯ तूं है॥16॥ जग-कारण तूं आदि विधाता। विमलà¤à¤¾à¤µ चैतनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾à¥¤ दीनबंधॠकरूणानिधि ताता। कà¥à¤°à¥€à¤™à¤¾ तेरी अदà¤à¥à¤¤ दाता॥17॥ तूं है अजनà¥à¤®à¤¾ जग निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¥¤ तूं मृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय काल-विजेता। à¤à¤• मातà¥à¤° तूं जà¥à¤žà¥‡à¤¯-ततà¥à¤µ है। सतà¥à¤¯-शोध से रहे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ है॥18॥ जो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ जग के वासी। जनà¥à¤®-मरण कारा-गà¥à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤¸à¥€à¥¤ जनà¥à¤®-मरण के आप पार है। विà¤à¥ निरंजन जगदाधार है॥19॥ निरà¥à¤à¤° से जल जैसा आये। पूरà¥à¤µà¤•ाल से रहा समाये। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उमंगित होकर आये। जिसने खà¥à¤¦ है सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ बहायें॥20॥ शिला छिदà¥à¤° से जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बह निकला। निरà¥à¤à¤° उसको नाम मिल गया। à¤à¤°-à¤à¤° कर निरà¥à¤à¤° बन छाया। मिथà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤µà¤¤à¥à¤µ छिदà¥à¤° से पाया॥21॥ कà¤à¥€ à¤à¤°à¤¾ और कà¤à¥€ सूखता। जल निसà¥à¤¸à¤‚ग इसे नकारता। चिदà¥à¤° शूनà¥à¤¯ को सलिल न माने। छिदà¥à¤° किनà¥à¤¤à¥ अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ बखाने॥22॥ à¤à¥à¤°à¤®à¤µà¤¶ छिदà¥à¤° समà¤à¤¤à¤¾ जीवन। जल न हो तो कहाठहै जीवन। दया पातà¥à¤° है छिदà¥à¤° विचार। दमà¥à¤ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ उसने यों धारा॥23॥ यह नरदेह छिदà¥à¤° सम à¤à¤¾à¤ˆà¥¤ चेतन सलिल शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€à¥¤ छिदà¥à¤° असंखà¥à¤¯ हà¥à¤† करते हैं। जलकण वही रहा करते हैं॥24॥ अतः नाथ हे परम दयाघन। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ नग का करने वेधन। वगà¥à¤° असà¥à¤¤à¥à¤° करते कर धारण। लीला सब à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के कारण॥25॥ जङत छिदà¥à¤° कितने है सारे। à¤à¤°à¥‡ जगत में जैसे तारे। गत हà¥à¤¯à¥‡ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ अà¤à¥€ हैं। यà¥à¤— à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के à¤à¥€à¤œ अà¤à¥€ हैं॥26॥ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ ये छिदà¥à¤° सà¤à¥€ है। à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सब नाम गति है। पृथक-पृथक इनकी पहचान। जग में कोई नहीं अनजान॥27॥ चेतन छिदà¥à¤°à¥‹à¤‚ से ऊपर है। " मैं तूं " अनà¥à¤¤à¤° नहीं उचित है। जहां दà¥à¤µà¥ˆà¤¤ का लेश नहीं है।सतà¥à¤¯ चेतना वà¥à¤¯à¤¾à¤ª रही है॥28॥ चेतना का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• विसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥¤ हà¥à¤† अससे पूरित संसार। " तेरा मेरा " à¤à¥‡à¤¦ अविचार। परम तà¥à¤¯à¤¾à¤œà¥à¤¯ है बाहà¥à¤¯ विकार॥29॥ मेघ गरà¥à¤ में निहित सलिल जो। जङतः निरà¥à¤®à¤² नहीं à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सो। धरती तल पर जब वह आता। à¤à¥‡à¤¦-विà¤à¥‡à¤¦ तà¤à¥€ उपजाता॥30॥ जो गोद में गिर जाता है। वह गोदावरी बन जाता है। जो नाले में गिर जाता है। वह अपवितà¥à¤° कहला जाता है॥31॥ सनà¥à¤¤ रूप गोदावरी निरà¥à¤®à¤²à¥¤ तà¥à¤® उसके पाव अविरल जल। हम नाले के सलिल मलिनतम। à¤à¥‡à¤¦ यही दोनों में केवल॥32॥ करने जीवन सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कृतारà¥à¤¥à¥¤ शरण तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ आये नाथ। कर जोरे हम शीश à¤à¥à¤•ाते। पावन पà¥à¤°à¤à¥ पर बलि-बलि जाते॥33॥ पातà¥à¤°-मातà¥à¤° से है पावनता। गोदा-जल की अति निरà¥à¤®à¤²à¤¤à¤¾à¥¤ सलिल सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° तो à¤à¤• समान। कहीं न दिखता à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¥34॥ गोदावरी का जो जलपातà¥à¤°à¥¤ कैसे पावन हà¥à¤† वह पातà¥à¤°à¥¤ उसके पीछे मरà¥à¤® à¤à¤• है। गà¥à¤£à¤ƒ दोष आधार नेक है॥35॥ मेघ-गरà¥à¤ से जो जल आता। बदल नहीं वह à¤à¥‚-कण पाता। वही कहलाता है à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤—। गोदावरी जल पà¥à¤£à¥à¤¯-सà¥à¤à¤¾à¤—॥36॥ वनà¥à¤¯ à¤à¥‚मि पर गिरा मेघ जो। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ गà¥à¤£ में रहे à¤à¤• जो। निनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ बना वही कटà¥à¤–ारा। गया à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से वह धिकà¥à¤•ारा॥37॥ सदगà¥à¤°à¥‚ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पावन हैं कितने। षडà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤“ं के जीता जिनने। अति पà¥à¤¨à¥€à¤¤ है गà¥à¤°à¥‚ की छाया। शिरडी सनà¥à¤¤ नाम शà¥à¤ पाया॥38॥ अतः सनà¥à¤¤ गोदावरी जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है। अति पà¥à¤°à¤¿à¤¯ हित à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥¤ मानव धरà¥à¤® अवयं साकार॥39॥ जग निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† है जब से। पà¥à¤£à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤° सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ तब से। सतत पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ अविरल जल से। रà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¤ किंचित हà¥à¤† न तल है॥40॥ सिया लखन संग राम पधारे। गोदावरी के पà¥à¤£à¥à¤¯ किनारे। यà¥à¤— अतीत वह बीत गया है। सलिल वही कà¥à¤¯à¤¾ शेष रहा है॥41॥ जल का पातà¥à¤° वहीं का वह है। जलधि समाया पूरà¥à¤µ सलिल है। पावनता तब से है वैसी। पातà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ यà¥à¤— के जैसी॥42॥ पूरव सलिल जाता है जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ही। नूतन जल आता है तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ही। इसी à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ अवतार रीति है। यà¥à¤—-यà¥à¤— में होती पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ है॥43॥ बहॠशताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾à¤ संवतॠसर यों। उन शतकों में सनà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤‚। हो सलिल सरिस सनà¥à¤¤ साकार। ऊरà¥à¤®à¤¿à¤µà¤¿à¤à¥‚तियां अपरंपार॥44॥ सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सनà¥à¤¤ सà¥-धारा। आदि महायà¥à¤— ले अवतार। सनक सननà¥à¤¦à¤¨ सनत कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥¤ सनà¥à¤¤ वृनà¥à¤¦Â जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बाढ़ अपारा॥45॥ नारद तà¥à¤®à¥à¤¬à¤° पà¥à¤¨à¤ƒ पधारे। धà¥à¤°à¥à¤µ पà¥à¤°à¤¹à¤²à¤¾à¤¦ बली तन धारे। शबरी अंगद नल हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥¤ गोप गोपिका बिदà¥à¤° महाना॥46॥ सनà¥à¤¤ सà¥à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ बढ़ती जाती। शत-शत धारा जलधि समाती। बाढ़ें बहॠयों यà¥à¤—-यà¥à¤— आती वरà¥à¤£à¤¨ नहीं वाणी कर पाती॥47॥ सनà¥à¤¤ रूप गोदावरी तट पर। कलियà¥à¤— के नव मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¹à¤° पर। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-बाढ़ लेकर तà¥à¤® आये। 'सांईनाथ " सà¥à¤¨à¤¾à¤® तà¥à¤® कहाये॥48॥ चरण कमल दà¥à¤µà¤¯ दिवà¥à¤¯ ललाम। पà¥à¤°à¤à¥ सà¥à¤µà¥€à¤•ारों विनत पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®à¥¤ अवगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤à¥ हैं अनगिन मेरे। चित न धरों पà¥à¤°à¤à¥ दोष घनेरे॥49॥ मैं अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ पहित पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨à¥¤ पापी दल का परम शिरोमणी। सच में कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² महाखलकामी। मत ठà¥à¤•राओं अनà¥à¤¤à¤°à¤¯à¤¾à¤®à¥€à¥¥50॥ दोषी कैसा à¤à¥€ हो लोहा। पारस सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ बनाता चोखा। नाला मल से à¤à¤°à¤¾ अपावन। सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ करती है पावन॥51॥ मेरा मन अति कलà¥à¤· à¤à¤°à¤¾ है। नाथ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ अति दया à¤à¤°à¤¾ है। कृपादà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से निरà¥à¤®à¤² कर दें। à¤à¥‹à¤²à¥€ मेरी पà¥à¤°à¤à¥à¤µà¤° à¤à¤° दें॥52॥ पासस का संग जब मिल जाता। लोह सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ यदि नहीं बन पाता। तब तो दोषी पारस होता। विरद वही अपना है खोता॥53॥ पापी रहा यदि पà¥à¤°à¤à¥ तव दास। होता आपका ही उपहास। पà¥à¤°à¤à¥ तà¥à¤® पारस,मैं हूठलोहा। राखो तà¥à¤® ही अपनी शोà¤à¤¾à¥¥54॥ अपराध करे बालक अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥¤ कà¥à¤°à¥‹à¤§ न करती जननी महान। हो पà¥à¤°à¤à¥ पà¥à¤°à¥‡à¤® पूरà¥à¤£ तà¥à¤® माता। कृपापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ दीजियें दाता॥55॥ सदगà¥à¤°à¥‚ सांई हे पà¥à¤°à¤à¥ मेरे। कलà¥à¤ªà¤µà¥ƒà¤•à¥à¤· तà¥à¤® करूणा पà¥à¤°à¥‡à¤°à¥‡à¥¤ à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र में मेरी नैया। तूं ही à¤à¤—वान पार करैया॥56॥ कामधेनू सम तूं चिनà¥à¤¤à¤¾ मणि।जà¥à¤žà¤¾à¤¨-गगन का तूं है दिनमणि। सरà¥à¤µ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का तूं है आकार। शिरडी पावन सà¥à¤µà¤°à¥à¤— धरा पर॥57॥ पà¥à¤£à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤® है अतिशय पावन। शानà¥à¤¤à¤¿à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ हैं चिदाननà¥à¤¦à¤˜à¤¨à¥¤ पूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹ तà¥à¤® पà¥à¤°à¤£à¤µ रूप हें। à¤à¥‡à¤¦à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ तà¥à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¸à¥‚रà¥à¤¯ हें॥58॥ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ अहो पà¥à¤°à¥‚षोतà¥à¤¤à¤®à¥¤ कà¥à¤·à¤®à¤¾ शानà¥à¤¤à¤¿ के परम निकेतन। à¤à¤•à¥à¤¤ वृनà¥à¤¦ के उर अà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤®à¥¤ हों पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤à¥ पूरण काम॥59॥ सदगà¥à¤°à¥‚ नाथ मछिनà¥à¤¦à¤° तूं है। योगी राज जालनà¥à¤§à¤° तूं है। निवृतà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° तूं हैं। कबीर à¤à¤•नाथ पà¥à¤°à¤à¥ तूं है॥60॥ सावता बोधला à¤à¥€ तूं है। रामदास समरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤à¥ तूं है। माणिक पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤ सनà¥à¤¤ सà¥à¤– तूं। तà¥à¤•ाराम हे सांई पà¥à¤°à¤à¥ तूं॥61॥ आपने धारे ये अवतार। ततà¥à¤µà¤¤à¤ƒ à¤à¤• à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आकार। रहसà¥à¤¯ आपका अगम अपार। जाति-पाà¤à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤à¥‹ उस पार॥62॥ कोई यवन तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ बतलाता। कोई बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ जतलाता। कृषà¥à¤£ चरित की महिमा जैसी। लीला की है तà¥à¤®à¤¨à¥‡ तैसी॥63॥ गोपीयां कहतीं कृषà¥à¤£ कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾à¥¤ कहे 'लाडले' यशà¥à¤®à¤¤à¤¿ मैया। कोई कहें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गोपाल। गिरिधर यदूà¤à¥‚षण नंदलाल॥64॥ कहें बंशीधर कोई गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥¤ देखे कंस कृषà¥à¤£ में काल। सखा उदà¥à¤§à¤µ के पà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤—वान। गà¥à¤°à¥‚वत अरà¥à¤œà¥à¤¨ केशव जान॥65॥ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ à¤à¤¾à¤µ जिसके हो जैसे। सदगà¥à¤°à¥‚ को देखे वह वैसा। पà¥à¤°à¤à¥ तà¥à¤® अटल रहे हो à¤à¤¸à¥‡à¥¤ शिरडी थल में धà¥à¤°à¥à¤µ सम बैठे॥66॥ रहा मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ पà¥à¤°à¤à¥ का आवास। तव छिदà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ करà¥à¤£ आà¤à¤¾à¤¸à¥¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® करते लोग अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥¤ सम थे तà¥à¤®à¤•ो राम रहमान॥67॥ धूनी तव अगà¥à¤¨à¤¿ साधना। होती जिससे हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¥¤ " अलà¥à¤²à¤¾ मालिक " तà¥à¤® थे जपते। शिवसम तà¥à¤®à¤•ो à¤à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤®à¤°à¤¤à¥‡à¥¥68॥ हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® ऊपरी à¤à¥‡à¤¦à¥¤ सà¥à¤à¤•à¥à¤¤ देखते पूरà¥à¤£ अà¤à¥‡à¤¦à¥¤ नहीं जानते जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ विदà¥à¤µà¥‡à¤·à¥¤ ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• पर अनगिन वेष॥69॥ पारबà¥à¤°à¤®à¥à¤¹ आप सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¥¤ वरà¥à¤£ जाति से मà¥à¤•à¥à¤¤ आसीन। हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सब को पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡à¥¤ चिदाननà¥à¤¦ गà¥à¤°à¥‚जन रखवारे॥70॥ करने हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•। करने दूर सà¤à¥€ मतà¤à¥‡à¤¦à¥¤ मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ अगà¥à¤¨à¤¿ जोङ कर नाता। लीला करते जन-सà¥à¤–-दाता॥71॥ पà¥à¤°à¤à¥ धरà¥à¤®-जाति-बनà¥à¤§ से हीन। निरà¥à¤®à¤² ततà¥à¤µ सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¥¤ अनà¥à¤à¤µà¤—मà¥à¤¯ तà¥à¤® तरà¥à¤•ातीत। गूंजे अनहद आतà¥à¤® संगीत॥72॥ समकà¥à¤· आपके वाणी हारे। तरà¥à¤• वितरà¥à¤• वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ बेचारे। परिमति शबदॠहै à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤¸à¥¤ हूं मैं अकिंचन पà¥à¤°à¤à¥ का दास॥73॥ यदयपि आप हैं शबदाधार। शबà¥à¤¦ बिना न पà¥à¤°à¤—टें गीत। सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करूं ले शबदाधार। सà¥à¤µà¥€à¤•ारों हें दिवà¥à¤¯ अवतार॥74॥ कृपा आपकी पाकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ गाता गà¥à¤£-गण यह अनà¥à¤—ामी। शबदों का ही माधà¥à¤¯à¤® मेरा। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® से है उर पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¾à¥¥75॥ सनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की महिमा है नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€à¥¤ ईशर की विà¤à¥‚ति अनियारी। सनà¥à¤¤ सरसते सामà¥à¤¯ सà¤à¥€ से। नहीं रखते बैर किसी से॥76॥ हिरणà¥à¤¯à¤•शिपॠरावंअ बलवान। विनाश हà¥à¤† इनका जग जान। देव-दà¥à¤µà¥‡à¤· था इसका कारण। सनà¥à¤¤ दà¥à¤µà¥‡à¤· का करें निवारण॥77॥ गोपीचनà¥à¤¦ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ कराये। जालनà¥à¤§à¤° मन में नहीं लाये। महासनà¥à¤¤ के किया कà¥à¤·à¤®à¤¾ था। परम शानà¥à¤¤à¤¿ का वरण किया था॥78॥ बङकर नृप-उदà¥à¤§à¤¾à¤° किया था। दीरà¥à¤˜ आयॠवरदान दिया था। सनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की महिमा जग-पावन। कौन कर सके गà¥à¤£ गणगायन॥79॥ सनà¥à¤¤ à¤à¥‚मि के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिवाकर। कृपा जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ देते करà¥à¤£à¤¾à¤•र। शीतल शशि सम सनà¥à¤¤ सà¥à¤–द हैं। कृपा कौमà¥à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤–र अवनि है॥80॥ है कसà¥à¤¤à¥‚री सम मोहक संत। कृपा है उनकी सरस सà¥à¤—ंध। ईखरसवत होते हैं संत। मधà¥à¤° सà¥à¤°à¥‚चि जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सà¥à¤–द बसंत॥81॥ साधà¥-असाधॠसà¤à¥€ पा करूणा। दृषà¥à¤Ÿà¤¿ समान सà¤à¥€ पर रखना। पापी से कम पà¥à¤¯à¤¾à¤° न करते। पाप-ताप-हर-करूणा करते॥82॥ जो मल-यà¥à¤¤ है बहकर आता। सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ जल में आन समाता। निरà¥à¤®à¤² मंजूषा में रहता। सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ जल नहीं वह गहता॥83॥ वही वसन इक बार था आया। मंजूषा में रहा समाया। अवगाहन सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ में करता। धूल कर निरà¥à¤®à¤² खà¥à¤¦ को करता॥84॥ सà¥à¤¦à¥à¤°à¤¢à¤¼ मंजूषा है बैकà¥à¤£à¥à¤ । अलौकिक निषà¥à¤ ा गंग तरंग। जीवातà¥à¤®à¤¾ ही वसन समà¤à¤¿à¤¯à¥‡à¥¤ षडॠविकार ही मैल समà¤à¤¿à¤¯à¥‡à¥¥85॥ जग में तव पद-दरà¥à¤¶à¤¨ पाना। यही गंगा में डूब नहाना। पावन इससे होते तन-मन। मल-विमà¥à¤•à¥à¤¤ होता वह ततà¥à¤•à¥à¤·à¤£à¥¥86॥ दà¥à¤–द विवश हैं हम संसारी। दोष-कालिमा हम में à¤à¤¾à¤°à¥€à¥¤ सनà¥à¤¤ दरश के हम अधिकारी। मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ हेतॠनिज बाट निहारी॥87॥ गोदावरी पूरित निरà¥à¤®à¤² जल। मैली गठरी à¤à¥€à¤—ी ततà¥à¤œà¤²à¥¤ बन न सकी यदि फिर à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤²à¥¤ कà¥à¤¯à¤¾ न दोषयà¥à¤¤ गोदावरि जल॥88॥ आप सघन हैं शीतल तरूवर।शà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पथिक हम डगमग पथ हम। तपे ताप तà¥à¤°à¤¯ महापà¥à¤°à¤–र तम। जेठदà¥à¤ªà¤¹à¤°à¥€ जलते à¤à¥‚कण॥89॥ ताप हमारे दूर निवारों। महा विपद से आप उबारों। करों नाथ तà¥à¤® करूणा छाया। सरà¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¤ तेरी पà¥à¤°à¤à¥ दया॥90॥ परम वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ वह छायातरू है। दूर करे न ताप पà¥à¤°à¤–र हैं। जो शरणागत को न बचाये। शीतल तरू कैसे कहलाये॥91॥ कृपा आपकी यदि नहीं पाये। कैसे निरà¥à¤®à¤² हम रह जावें। पारथ-साथ रहे थे गिरधर। धरà¥à¤® हेतॠपà¥à¤°à¤à¥ पाà¤à¤šà¤œà¤¨à¥à¤¯-धर॥92॥ सà¥à¤—à¥à¤°à¥€à¤µ कृपा से दनà¥à¤œ बिà¤à¥€à¤·à¤£à¥¤ पाया पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¤à¤ªà¤¾à¤² रघà¥à¤ªà¤¤à¤¿ पद। à¤à¤—वत पाते अमित बङाई। सनà¥à¤¤ मातà¥à¤° के कारण à¤à¤¾à¤ˆà¥¥93॥ नेति-नेति हैं वेद उचरते। रूपरहित हैं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® विचरते। महामंतà¥à¤° सनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने पाये। सगà¥à¤£ बनाकर à¤à¥‚ पर लायें॥94॥ दामा ठदिया रूप महार। रà¥à¤•मणि-वर तà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥‹à¤•à¥à¤¯ आधार। चोखी जी ने किया कमाल। विषà¥à¤£à¥ को दिया करà¥à¤® पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¥¥95॥ महिमा सनà¥à¤¤ ईश ही जानें। दासनà¥à¤¦à¤¾à¤¸ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बन जावें। सचà¥à¤šà¤¾ सनà¥à¤¤ बङपà¥à¤ªà¤¨ पाता। पà¥à¤°à¤à¥ का सà¥à¤œà¤¨ अतिथि हो जाता॥96॥ à¤à¤¸à¥‡ सनà¥à¤¤ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥€à¤‚ सà¥à¤–दाता। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥€à¤‚ पिता हो तà¥à¤® ही माता। सदगà¥à¤°à¥ सांईनाथ हमारे। कलियà¥à¤— में शिरडी अवतारें॥97॥ लीला तिहारी नाथ महान। जन-जन नहीं पायें पहचान। जिवà¥à¤¹à¤¾ कर ना सके गà¥à¤£à¤—ान। तना हà¥à¤† है रहसà¥à¤¯ वितान॥98॥ तà¥à¤®à¤¨à¥‡ जल के दीप जलायें। चमतà¥à¤•ार जग में थे पायें। à¤à¤•à¥à¤¤ उदà¥à¤§à¤¾à¤° हित जग में आयें। तीरथ शिरडी धाम बनाà¤à¥¥99॥ जो जिस रूप आपको धà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚। देव सरूप वही तव पायें। सूकà¥à¤·à¤® तकà¥à¤¤ निज सेज बनायें। विचितà¥à¤° योग सामरà¥à¤¥ दिखायें॥100॥ पà¥à¤¤à¥à¤° हीन सनà¥à¤¤à¤¤à¤¿ पा जावें। रोग असाधà¥à¤¯ नहीं रह जावें। रकà¥à¤·à¤¾ वह विà¤à¥‚ति से पाता। शरण तिहारी जो à¤à¥€ आता॥101॥ à¤à¤•à¥à¤¤ जनों के संकट हरते। कारà¥à¤¯ असमà¥à¤à¤µ समà¥à¤à¤µ करतें। जग की चींटी à¤à¤¾à¤° शूनà¥à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚। समकà¥à¤· तिहारे कठिन कारà¥à¤¯ तà¥à¤¯à¥‹à¤‚॥102॥ सांई सदगà¥à¤°à¥‚ नाथ हमारें। रहम करो मà¥à¤ पर हे पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡à¥¤ शरणागत हूठपà¥à¤°à¤à¥ अपनायें। इस अनाथ को नहीं ठà¥à¤•रायें॥103॥ पà¥à¤°à¤à¥ तà¥à¤® हो राजà¥à¤¯ राजेशà¥à¤µà¤°à¥¤ कà¥à¤¬à¥‡à¤° के à¤à¥€ परम अधीशà¥à¤µà¤°à¥¤ देव धनà¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤°à¥€ तव अवतार। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥¥104॥ बहॠदेवों की पूजन करतें। बाहà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ हम संगà¥à¤°à¤¹ करते। पूजन पà¥à¤°à¤à¥ की शीधी-साधा। बाहà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ की नहीं उपाधी॥105॥ जैसे दीपावली तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥¤ आये पà¥à¤°à¤–र सूरज के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ दीपक जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤‚ कहां वह लाये। सूरà¥à¤¯ समकà¥à¤· जो जगमग होवें॥106॥ जल कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥‚ के पास। बà¥à¤à¤¾ सके जो सागर पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥¤ अगà¥à¤¨à¤¿ जिससे उषà¥à¤®à¤¾ पायें। à¤à¤¸à¤¾ वसà¥à¤¤à¥ कहां हम पावें॥107॥ जो पदारà¥à¤¥ हैं पà¥à¤°à¤à¥ पूजन के। आतà¥à¤®-वश वे सà¤à¥€ आपके। हे समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥‚ देव हमारे। निरà¥à¤—à¥à¤£ अलख निरंजन पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡à¥¥108॥ ततà¥à¤µà¤¦à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ का दरà¥à¤¶à¤¨ कà¥à¤› है। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾-हà¥à¤°à¤¦à¤¯ सतà¥à¤¯ हैं। केवल वाणी परम निररà¥à¤¥à¤•। अनà¥à¤à¤µ करना निज में सारà¥à¤¥à¤•॥109॥ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कंरू तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ सांई। वह समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ जग में नहीं पाई। जग वैà¤à¤µ तà¥à¤®à¤¨à¥‡ उपजाया। कैसे कहूं कमी कà¥à¤› दाता॥110॥ " पतà¥à¤°à¤‚-पà¥à¤·à¥à¤ªà¤‚ " विनत चढ़ाऊं। पà¥à¤°à¤à¥ चरणों में चितà¥à¤¤ लगाऊं। जो कà¥à¤› मिला मà¥à¤à¥‡ हें सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ करूं समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ तन-मन वाणी॥111॥ पà¥à¤°à¥‡à¤®-अशà¥à¤°à¥ जलधार बहाऊं। पà¥à¤°à¤à¥ चरणों को मैं नहलाऊं। चनà¥à¤¦à¤¨ बना हà¥à¤°à¤¦à¤¯ निज गारूं। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µ का तिलक लगाऊं॥112॥ शबà¥à¤¦à¤¾à¤à¥‚षà¥à¤£-कफनी लाऊं। पà¥à¤°à¥‡à¤® निशानी वह पहनाऊं। पà¥à¤°à¤£à¤¯-सà¥à¤®à¤¨ उपहार बनाऊं। नाथ-कंठमें पà¥à¤²à¤• चढ़ाऊं॥113॥ आहà¥à¤¤à¤¿ दोषों की कर डालूं। वेदी में वह होम उछालूं। दà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° धूमà¥à¤° यों à¤à¤¾à¤—े। वह दà¥à¤°à¥à¤—ंध नहीं फिर लागे॥114॥ अगà¥à¤¨à¤¿ सरिस हैं सदगà¥à¤°à¥‚ समरà¥à¤¥à¥¤ दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£-धूप करें हम अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾ जलकर जब होता है। तदरूप ततà¥à¤•à¥à¤·à¤£ बन जाता है॥115॥ धूप-दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ जब उस पर चढ़ता। अगà¥à¤¨à¤¿ जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में है जलता। सà¥à¤°à¤à¤¿-असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ कहां रहेगा। दूर गगन में शूनà¥à¤¯ बनेगा॥116॥ पà¥à¤°à¤à¥ की होती अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ रीति। बनती कà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥ जल कर विà¤à¥à¤¤à¤¿à¥¤ सदगà¥à¤£ कà¥à¤¨à¥à¤¦à¤¨ सा बन दमके। शाशवत जग बढ़ निरखे परखे॥117॥ निरà¥à¤®à¤² मन जब हो जाता है। दà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤•ार तब जल जाता है। गंगा जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पावन है होती। अविकल दूषण मल वह धोती॥118॥ सांई के हित दीप बनाऊं। सतà¥à¤µà¤° माया मोह जलाऊं। विराग पà¥à¤°à¤•ाश जगमग होवें। राग अनà¥à¤§ वह उर का खावें॥119॥ पावन निषà¥à¤ ा का सिंहासन। निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ करता पà¥à¤°à¤à¥ के कारण। कृपा करें पà¥à¤°à¤à¥ आप पधारें। अब नैवेदà¥à¤¯-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¥€à¤•ारें॥120॥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-नैवेदà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤à¥ तà¥à¤® पाओं। सरस-रास-रस हमें पिलाओं। माता, मैं हूठवतà¥à¤¸ तिहारा। पाऊं तव दà¥à¤—à¥à¤§à¤¾à¤®à¥ƒà¤¤ धारा॥121॥ मन-रूपी दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ चà¥à¤•ाऊं। मन में नहीं कà¥à¤› और बसाऊं। अहमॠà¤à¤¾à¤µ सब करूं समà¥à¤ªà¤°à¥à¤£à¥¤ अनà¥à¤¤à¤ƒ रहे नाथ का दरà¥à¤ªà¤£à¥¥122॥ बिनती नाथ पà¥à¤¨à¤ƒ दà¥à¤¹à¤°à¤¾à¤Šà¤‚। शà¥à¤°à¥€ चरणों में शीश नमाऊं। सांई कलियà¥à¤— बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® अवतार। करों पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® मेरे सà¥à¤µà¥€à¤•ार॥123॥ ॠसांई राम!!! ~~~पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤•~~~          शानà¥à¤¤ चितà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤µà¤¤à¤¾à¤° जय। दया-निधान सांईनाथ जय। करà¥à¤£à¤¾ सागर सतà¥à¤¯à¤°à¥‚प जय। मयातम संहारक पà¥à¤°à¤à¥ जय॥124॥ जाति-गोतà¥à¤°-अतीत सिदà¥à¤§à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥¤ अचिनà¥à¤¤à¤¨à¥€à¤¯à¤‚ पाप-ताप-हर। पाहिमामॠशिव पाहिमामॠशिव। शिरडी गà¥à¤°à¤¾à¤®-निवासिय केशव॥125॥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विधाता जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° जय। मंगल मूरत मंगलमय जय। à¤à¤•à¥à¤¤-वरà¥à¤—मानस-मराल जय। सेवक-रकà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤£à¤¤à¤¾à¤ªà¤¾à¤² जय॥126॥ सà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ रचयिता बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जय-जय। रमापते हे विषà¥à¤£à¥ रूप जय। जगत पà¥à¤°à¤²à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¤¾ शिव जय-जय। महारà¥à¤¦à¥à¤° हें अà¤à¥à¤¯à¤‚कर जय॥127॥ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• ईश समाया जग तूं। सरà¥à¤µà¤²à¥‹à¤• में छाया पà¥à¤°à¤à¥ तूं। तेरे आलय सरà¥à¤µà¤¹à¥à¤°à¤¦à¤¯ हैं। कण-कण जग सब सांई ईशà¥à¤µà¤° है॥128॥ कà¥à¤·à¤®à¤¾ करे अपराध हमारें। रहे याचना सदा मà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‡à¥¤ à¤à¥à¤°à¤®-संशय सब नाथ निवारें। राग-रंग-रति से उदà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‡à¥¥129॥ मैं हूठबछङा कामधेनॠतूं। चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤•ानà¥à¤¤à¤¾ मैं पूरà¥à¤£ इनà¥à¤¦à¥ तूं। नमामि वतà¥à¤¸à¤² पà¥à¤°à¤£à¤®à¥à¤¯ जय। नाना सà¥à¤µà¤° बहॠरूप धाम जय॥130॥ मेरे सिर पर अà¤à¤¯ हसà¥à¤¤ दों। चिनà¥à¤¤ रोग शोक तà¥à¤® हर लो। दासगणू को पà¥à¤°à¤à¥ अपनाओं। 'à¤à¥‚पति' के उर में बस जओं॥131॥ कवि सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कर जोरे गाता। हों अनà¥à¤•मà¥à¤ªà¤¾ सदा विधाता। पाप-ताप दà¥à¤ƒà¤– दैनà¥à¤¯ दूर हो। नयन बसा नित तव सरूप हों॥132॥ जà¥à¤¯à¥Œ गौ अपना वतà¥à¤¸ दà¥à¤²à¤¾à¤°à¥‡à¥¤Â तà¥à¤¯à¥Œ साईं माठदास दà¥à¤²à¤¾à¤°à¥‡à¥¤ निरà¥à¤¦à¤¯ नहीं बनो जगदमà¥à¤¬à¥‡à¥¤Â इस शिशॠको दà¥à¤²à¤¾à¤°à¥‹ अंबे ॥133॥ चनà¥à¤¦à¤¨ तरà¥à¤µà¤° तà¥à¤® हो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ हीन-पौध हूं मैं अनà¥à¤—ामी। सà¥à¤°à¤¸à¤°à¤¿ समां तू है अतिपावन। दà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤° रत मैं करà¥à¤¦à¤®à¤µà¤¤ ॥134॥ तà¥à¤à¤¸à¥‡ लिपट रहू यदि मलयà¥à¤¤à¥¤ कौन कहे तà¥à¤à¤•ो चनà¥à¤¦à¤¨ तरà¥à¥¤ सदगà¥à¤°à¥ तेरी तà¤à¥€ बड़ाई। तà¥à¤¯à¤¾à¤—ो मन जब सतत बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ ॥135॥ कसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का जब साथ मिले। अति माटी का तब मोल बड़े। सà¥à¤°à¤à¤¿à¤¤ सà¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ का साथ मिले। धागे को à¤à¥€ सम सà¥à¤°à¤à¤¿ मिले ॥136॥ महान जनों की होती रीति। जीना पर हà¥à¤ˆ हैं उनकी पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¥¤ वही पदारà¥à¤¥ होता अनमोल। नहीं जग में उसका फिर तौला ॥137॥ रहा नंदी का à¤à¤¸à¥à¤® कोपीना। संचय शिव ने किया आधीन। गौरव उसने जन से पाया। शिव संगत ने यश फैलाया॥138॥ यमà¥à¤¨à¤¾ तट पर रचायें। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में धूम मचायें।  गोपीरंजन करें मà¥à¤°à¤¾à¤°à¥€à¥¤Â à¤à¤•à¥à¤¤-वृनद मोहें गिरधारी॥139॥ होंवें दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤à¥‹à¤‚ करूणाघन। मेरे पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤® नाथ हà¥à¤°à¤¦à¤¯à¤˜à¤¨à¥¤ अधमाधम को आन तारियें। कà¥à¤·à¤®à¤¾ सिनà¥à¤§à¥ अब कà¥à¤·à¤®à¤¾ धारियें॥140॥ अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ पाऊ। अंतरयामी से यह चाहूं। जिसमें हित हो मेरे दाता। वही दीजियें मà¥à¤à¥‡ विधाता॥141॥ मैं तो कटॠजलहूं पà¥à¤°à¤à¥ खारा। तà¥à¤® में मधॠसागर लहराता। कृपा-बिंदॠइक पाऊ तेरा। मधà¥à¤°à¤¿à¤® मधॠबन जायें मेरा॥142॥ हे पà¥à¤°à¤à¥ आपकी शकà¥à¤¤à¤¿ अपार। तिहारे सेवक हम सरकार। खारा जलधि करें पà¥à¤°à¤à¥ मीठा। दासगणॠपावे मन-चीता॥143॥ सिदà¥à¤§à¤µà¥ƒà¤¨à¥à¤¦ का तà¥à¤‚ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥¤ वैà¤à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® विराट। मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ अनेक पà¥à¤°à¤•ार अà¤à¤¾à¤µà¥¤ अकिंचन नाथ करें निरà¥à¤µà¤¾à¤¹à¥¥144॥ कथन अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• निरा वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ हैं। आधार à¤à¤• गà¥à¤°à¥ समरà¥à¤¥ हैं । माठकी गोदी में जब सà¥à¤¤ हो। à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ कहो कैसे तब हो॥145॥  जो यह सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पड़े पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वासर। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾à¤°à¥à¤ªà¤¿à¤¤ हो गाये सादर । मन-वाà¤à¤›à¤¿à¤¤ फल नाथ अवश दें। शाशवत शानà¥à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° दें॥146॥ सिदà¥à¤§ वरदान सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° दिलावे। दिवà¥à¤¯ कवच सम सतत बचावें। सà¥à¤«à¤² वरà¥à¤· में पाठक पावें। जग तà¥à¤°à¤¯à¤¤à¤¾à¤ª नहीं रह जावें॥147॥  निज शà¥à¤à¤•र में सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° समà¥à¤à¤¾à¤²à¥‹à¥¤ शà¥à¤šà¤¿à¤ªà¤µà¤¿à¤¤à¥à¤° हो सà¥à¤µà¤° को ढालो। पà¥à¤°à¤à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पावन मानस कर लो। सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पठन शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से कर लो॥148॥  गà¥à¤°à¥‚वार दिवस गà¥à¤°à¥ का मानों। सतगà¥à¤°à¥ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ चितà¥à¤¤ में ठानों। सà¥à¤¥à¥‹à¤¥à¤°à¤¾ पठन हो अति फलदाई। महापà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ सदा-सहाई॥149॥  वà¥à¤°à¤¤ à¤à¤•ादशी पà¥à¤£à¥à¤¯ सà¥à¤¹à¤¾à¤ˆà¥¤ पठन सà¥à¤¦à¤¿à¤¨ इसका कर à¤à¤¾à¤ˆà¥¤Â निशà¥à¤šà¤¯ चमतà¥à¤•ार थम पाओ। शà¥à¤ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कलà¥à¤ªà¤¤à¤°à¥ पाओ॥150॥  उतà¥à¤¤à¤® गति सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾à¥¤ सदगà¥à¤°à¥‚ दरà¥à¤¶à¤¨ पाठक पाता। इह परलोक सà¤à¥€ हो शà¥à¤à¤•र। सà¥à¤– संतोष पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सतà¥à¤µà¤°à¥¥151॥  सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पारायण सदà¥à¤¯: फल दे। मनà¥à¤¦-बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ को बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¬à¤² दे। हो संरकà¥à¤·à¤• अकाल मरण से। हों शतायॠजा सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पठन से॥152॥  निरà¥à¤§à¤¨ धन पायेगा à¤à¤¾à¤ˆà¥¤ महा कà¥à¤¬à¥‡à¤° सतà¥à¤¯ शिव साईं। पà¥à¤°à¤à¥ अनà¥à¤•मà¥à¤ªà¤¾ सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° समाई। कवि-वाणी शà¥à¤-सà¥à¤—म सहाई॥153॥  संततिहीन पायें सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥¤ दायक सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° पठन कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥¤ मà¥à¤•à¥à¤¤ रोग से होगी काया। सà¥à¤–कर हो साईं की छाया॥154॥  सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤°-पाठनित मंगलमय है। जीवन बनता सà¥à¤–द पà¥à¤°à¤–र है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° गहनतर पाओ। चिंतामà¥à¤•à¥à¤¤ जियो हरà¥à¤·à¤¾à¤“॥155॥  आदर उर का इसे चढ़ाओ। अंत दà¥à¤°à¤¢à¤¼ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ बासाओ। तरà¥à¤• वितरà¥à¤• विलग कर साधो। शà¥à¤¦à¥à¤§ विवेक बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ अवराधो॥156॥  यातà¥à¤°à¤¾ करो शिरडी तीरà¥à¤¥ की। लगन लगी को नाथ चरण की। दीन दà¥à¤–ी का आशà¥à¤°à¤¯ जो हैं। à¤à¤•à¥à¤¤-काम-कलà¥à¤ª-दà¥à¤°à¥à¤® सोहें॥157॥  सà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ बाबा की पाऊं। पà¥à¤°à¤à¥ आजà¥à¤žà¤¾ पा सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° रचाऊं। बाबा का आशीष न होता। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ यह गान पतित से होता॥158॥  शक शंवत अठरह चालीसा। à¤à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ मास शà¥à¤•à¥à¤² गौरीशा। शाशिवार गणेश चौथ शà¥à¤ तिथि। पूरà¥à¤£ हà¥à¤ˆ साईं की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¥¥159॥  पà¥à¤£à¥à¤¯ धार रेवा शà¥à¤ तट पर। माहेशà¥à¤µà¤° अति पà¥à¤£à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤² पर। साईंनाथ सà¥à¤¤à¤µà¤¨ मंजरी। राजà¥à¤¯-अहिलà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥‚ में उतारी॥160॥   मानà¥à¤§à¤¾à¤¤à¤¾ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨à¥¤ पà¥à¤°à¤—टा सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° जहां पर पावन। हà¥à¤† मन पर साईं अधिकार। समà¤à¥‹ मंतà¥à¤° साईं उदगार॥161॥  दासगणॠकिंकर साईं का। रज-कण संत साधॠचरणों का। लेख-बदà¥à¤§ दामोदर करते। à¤à¤¾à¤·à¤¾ गायन ' à¤à¥‚पति' करते॥162॥  साईंनाथ सà¥à¤¤à¤µà¤¨ मंजरी। तारक à¤à¤µ-सागर-हà¥à¤°à¤¦-तनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¥¤ सारे जग में साईं छाये। पाणà¥à¤¡à¥à¤°à¤‚ग गà¥à¤£ किकंर गाये॥163॥  शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿à¤¹à¤°à¤¾à¤ªà¤°à¥à¤£à¤®à¤¸à¥à¤¤à¥ | शà¥à¤à¤‚ à¤à¤µà¤¤à¥ | पà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤• वरदा विठà¥à¤ ल | सीताकांत सà¥à¤®à¤°à¤£ | जय जय राम | पारà¥à¤µà¤¤à¥€à¤ªà¤¤à¥‡ हर हर महादेव | शà¥à¤°à¥€ सदगà¥à¤°à¥ साईंनाथ महाराज की जय || शà¥à¤°à¥€ सदगà¥à¤°à¥ साईंनाथपरà¥à¤£à¤®à¤¸à¥à¤¤à¥ || जय सांई राम!!! ॠसांई राम!!! शà¥à¤°à¥€ सदगà¥à¤°à¥‚ सांईनाथ के गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ वचन~~~ शिरडीस जà¥à¤¯à¤¾à¤šà¥‡ लागतील पाय। टळती अपाय सरà¥à¤µ तà¥à¤¯à¤¾à¤šà¥‡ ॥1॥ शिरडी की पावन à¤à¥‚मि पर पाà¤à¤µ रखेगा जो à¤à¥€ कोई ॥ ततà¥à¤•à¥à¤·à¤£ मिट जाà¤à¤à¤—े कषà¥à¤Ÿ उसके,हो जो à¤à¥€ कोई ॥1॥ माà¤à¥à¤¯à¤¾ समाधीची पायरी चढेल॥ दà¥à¤ƒà¤– हे हरेल सरà¥à¤µ तà¥à¤¯à¤¾à¤šà¥‡à¥¥2॥ चढ़ेगा जो मेरी समाधि की सीढ़ी॥ मिटेगा उसका दà¥à¤ƒà¤– और चिंताà¤à¤ सारी॥2॥ जरी हे शरीर गेलो मी टाकून ॥ तरी मी धावेन à¤à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤¸à¤¾à¤ ी ॥3॥ गया छोङ इस देह को फिर à¤à¥€à¥¤ दौङा आऊà¤à¤—ा निजà¤à¤•à¥à¤¤ हेतॠ॥3॥ नवसास माà¤à¥€ पावेल समाधी॥ धरा दà¥à¤°à¤¢ बà¥à¤¦à¥à¤§à¥€ माà¤à¥à¤¯à¤¾ ठायी ॥4॥ मनोकामना पूरà¥à¤£ करे यह मेरी समाधि। रखो इस पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और दà¥à¤°à¤¢à¤¼ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¥¥4॥ नितà¥à¤¯ मी जिवंत जाणा हेंची सतà¥à¤¯à¥¥ नितà¥à¤¯ घà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¥€à¤¤ अनà¥à¤à¤µà¥‡à¥¥5॥ नितà¥à¤¯ हूठजीवित मैं,जानो यह सतà¥à¤¯à¥¥ कर लो पà¥à¤°à¤šà¥€à¤¤à¤¿,सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के अनà¥à¤à¤µ से॥5॥ जय सांई राम!!! ॠसांई राम!!! शरण मज आला आणि वाया गेला॥ दाखवा दाखवा à¤à¤¸à¤¾ कोणी॥6॥ मेरी शरण में आ के कोई गया हो खाली। à¤à¤¸à¤¾ मà¥à¤à¥‡ बता दे,कोई à¤à¤• à¤à¥€ सवाली॥6॥  जो जो मज à¤à¤œà¥‡ जैशा जैशा à¤à¤¾à¤µà¥‡à¥¥ तैसा तैसा पावे मीही तà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€à¥¥7॥ à¤à¤œà¥‡à¤—ा मà¥à¤à¤•ो जो à¤à¥€ जिस à¤à¤¾à¤µ से॥ पाà¤à¤—ा मà¥à¤à¤•ो वह उसी à¤à¤¾à¤µ से॥7॥ तà¥à¤®à¤šà¤¾ मी à¤à¤¾à¤° वाहीन सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ ॥ नवà¥à¤¹à¥‡ हें अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वचन माà¤à¥‡à¥¥8॥ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सब à¤à¤¾à¤° उठाऊà¤à¤—ा मैं सरà¥à¤µà¤¥à¤¾à¥¥ नहीं इसमें संशय,यह वचन है मेरा॥8॥ जाणा येथे आहे सहायà¥à¤¯ सरà¥à¤µà¤¾à¤‚स॥ मागे जे जे तà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ते ते लाà¤à¥‡à¥¥9॥ मिलेगा सहाय यहाठसबको ही जाने॥ मिलेगा उसको वही,जो à¤à¥€ माà¤à¤—ो॥9॥ माà¤à¤¾ जो जाहला काया वाचा मनीं ॥ तयाचा मी ऋणी सरà¥à¤µà¤•ाळ॥10॥ हो गया जो तन मन वचन से मेरा॥ ऋणी हूठमैं उसका सदा-सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ ही॥10॥ साई मà¥à¤¹à¤£à¥‡ तोचि, तोचि à¤à¤¾à¤²à¤¾ धनà¥à¤¯à¥¥ à¤à¤¾à¤²à¤¾ जो अननà¥à¤¯ माà¤à¥à¤¯à¤¾ पायी॥11॥ कहे सांई वही हà¥à¤† धनà¥à¤¯ धनà¥à¤¯à¥¤ हà¥à¤† जो मेरे चरणों से अननà¥à¤¯à¥¥11॥ ॥शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सदगà¥à¤°à¥Â साईनाथ महाराज की जय ॥ ॥ॠराजाधिराज योगिराज परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯ सांईनाथ महाराज॥ ॥शà¥à¤°à¥€ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सदगà¥à¤°à¥Â साईनाथ महाराज की जय ॥ जय सांई राम!!! Source - http://sai-ka-aangan.org/religious-books-references/~~~-~~~/msg35185/#msg35185 Written by - Ms. Tana ~ Global Moderator " Sai-Ka-Aangan " Forum " Religion - Being in a Temple and thinking about the outside World. Spirituality - Being out in the World and thinking about God. " ......anOnymOus thiNkiNg whAt tO thiNk - rOhit beHaL Add whatever you love to the India homepage. Try now! Messages in this topic (1) Reply (via web post) | Start a new topic Messages | Files | Photos | Links | Database | Polls | Members | Calendar MARKETPLACE Mom Power: Discover the community of moms doing more for their families, for the world and for each other Change settings via the Web ( ID required) Change settings via email: Switch delivery to Daily Digest | Switch format to Traditional Visit Your Group | Terms of Use | Un Recent Activity  82 New Members  1 New Files Visit Your Group Need traffic? 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