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Re : Satyam - Shivam - Sundaram

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Hi , Those who don't know sanskrit nor hindi , what we could do with this mail???????????????

We understand nothinggggggggggggggg.

----- Message d'origine ----De : Shashie Shekhar <polite_astroÀ : Astro_Remedies ; HARE_RAM ; Manglik_Manglik ; sacred-objects ; ; ; ; knrao ; Vedic Astrology ; ; ; indianastrology4u ; shaneeswara ; jyotish_prashna ; vedic astrology ; SRILALITHA ; Smarthrugaami-Dattavaibhavam ; ; gayatri_parivar ; lordsrivenkateswaraswamy; Rudraksham ;

hindujanjagransamiti ; asthikasamaj; Nityakalyan Envoyé le : Vendredi, 17 Août 2007, 10h13mn 34sObjet : Re: Satyam - Shivam - Sundaram

 

 

ll HARE RAM ll

शिवतà¥à¤µ के बिना सà¥à¤‚दरता मूलà¥à¤¯à¤¹à¥€à¤¨ मूलà¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° का महावाकà¥à¤¯ है 'सतà¥à¤¯à¤‚ शिवं सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤‚'। मानव जीवन के यही तीन मूलà¥à¤¯ हैं। जो सतà¥à¤¯ है वही शिव है और जो शिव है वहीं सà¥à¤‚दर है। पशà¥à¤šà¤¿à¤® का सौंदरà¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥€ यह मानकर चलता है कि 'सà¥à¤‚दरता दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में है।' यानी सौंदरà¥à¤¯ बोध नितांत वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤  है। परंतॠभारतीय मनीषा सà¥à¤‚दरता की इस परिभाषा को खारिज कर देती

है। वह 'सतà¥à¤¯-शिव-सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°' को सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ वसà¥à¤¤à¥à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤  मानती है। मूलà¥à¤¯ सापेकà¥à¤· न होकर निरपेकà¥à¤· हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसलिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अधीन है। मूलà¥à¤¯ उसकी विशिषà¥à¤Ÿ संपतà¥à¤¤à¤¿ है। 'सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°' कà¥à¤¯à¤¾ है? जो शिव है वही सà¥à¤‚दर है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जिसमें 'शिवतà¥à¤µ' नहीं है, उसमें सौंदरà¥à¤¯ भी नहीं है। 'यसà¥à¤®à¤¿à¤¨à¥ शिवतà¥à¤µà¤‚ नासà¥à¤¤à¤¿ तसà¥à¤®à¤¿à¤¨ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤‚ अपि नासà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¥¤' हमारे मन को सà¥à¤– देने वाली

चीज सà¥à¤‚दर है-यह सà¥à¤‚दरता की बचकानी परिभाषा है। सà¥à¤– और दà¥:ख संसà¥à¤•ारगत होने के नाते वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤  हैं। अनà¥à¤•ूल वेदना का नाम सà¥à¤– है और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•ूल वेदना का नाम दà¥:ख है। à¤à¤• ही चीज किसी को सà¥à¤– देती है और किसी को दà¥:ख। परंतॠसà¥à¤‚दरता तो वसà¥à¤¤à¥à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤  ही है। हमारा शासà¥à¤¤à¥à¤° बोलता है कि जो कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•ारी है वही सà¥à¤‚दर है। यह जरूरी नहीं है कि सà¥à¤–द चीज सà¥à¤‚दर भी हो। गीता कहती है कि भोग का सà¥à¤– भà¥à¤°à¤¾à¤®à¤•

है और अंतत: दà¥:खवरà¥à¤§à¤• है। 'ये हि संसà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¤œà¤¾ भोगा दà¥:खयोनय à¤à¤µà¤¤à¥‡'। à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤– भी होता है जो शà¥à¤°à¥‚ में अमृत जैसा लगता है, किंतॠउसका परिणाम विषतà¥à¤²à¥à¤¯ होता है। यदि कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• सौंदरà¥à¤¯à¤¬à¥‹à¤§ आगे चलकर दीरà¥à¤˜à¤•ालीन दà¥:ख का कारण बने तो वह कतई सà¥à¤‚दर नहीं है। कषà¥à¤Ÿà¤•र होने के नाते वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में साधना भले ही असà¥à¤‚दर लगे, किंतॠपà¥à¤°à¤—ति में सहायक होने के नाते अंतत: वही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है। गीता भी

कहती है: 'यतà¥à¤¤à¤¦à¤—à¥à¤°à¥‡ विषामिव परिणामेमृतोपममà¥'। यहां यह सवाल उठ सकता है कि जो कषà¥à¤Ÿ देने वाला है वह सà¥à¤‚दर कैसे हो सकता है? यदि कोई कषà¥à¤Ÿà¤•र अभà¥à¤¯à¤¾à¤¸ दीरà¥à¤˜à¤•ालीन सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ का बोध कराने में समरà¥à¤¥ है तो वह 'तप' है और इसलिठसà¥à¤‚दर है। पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦à¤œà¤¨à¤¿à¤¤ सà¥à¤– सà¥à¤‚दर हो ही नहीं सकता। चूंकि 'तप' विकास में हेतॠहै,अत: सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है। इस पà¥à¤°à¤•ार 'सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤‚' की परिभाषा निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ । 'यतॠशिवं ततà¥

सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤®à¥'। 'शिव' का अरà¥à¤¥ है मंगल। 'मंगल' शबà¥à¤¦ 'मगà¥' धातॠसे बना है, जिसका अरà¥à¤¥ है कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•ार शिव में उतà¥à¤•रà¥à¤· है; विकास है; पà¥à¤°à¤—ति है। शासà¥à¤¤à¥à¤° बाहरी पà¥à¤°à¤—ति का तिरसà¥à¤•ार नहीं करता है, अपितॠसमà¥à¤®à¤¾à¤¨ से उसे 'अभà¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯' कहता है। अशिकà¥à¤·à¤¾ से शिकà¥à¤·à¤¾ की ओर, दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾ से समृदà¥à¤§à¤¿ की ओर, अपयश से यश की ओर, निसà¥à¤¤à¥‡à¤œ से तेजसà¥à¤µà¤¿à¤¤à¤¾ की ओर बढ़ना पà¥à¤°à¤—ति है। समृदà¥à¤§à¤¿ के पीछे 'करà¥à¤®à¤•ौशल' होता है।

पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ à¤¾ किसी को उपहार में नहीं मिल जाती। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ही विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ के शà¥à¤°à¤® को जानता है: 'विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ जानाति विदà¥à¤µà¤œà¥à¤œà¤¨ परिशà¥à¤°à¤®:'। शà¥à¤°à¤® तो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सà¥à¤‚दर है,कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह 'तप' है। भीतरी पà¥à¤°à¤—ति का भी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ बिंदॠजीवन मूलà¥à¤¯ है। 'जीवतà¥à¤µ' से 'बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¤à¥à¤µ' की ओर जाना ही आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति है। सतà¥à¤µ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होना पà¥à¤°à¤—ति है; विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ में अवसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होना पà¥à¤°à¤—ति है; भकà¥à¤¤à¤¿ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ à¤¿à¤¤ होना

पà¥à¤°à¤—ति है। शिवतà¥à¤µ का अरà¥à¤¥ ही है पà¥à¤°à¤—ति या कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥¤ अत: यह मानकर चलें कि जो शिव है वही सà¥à¤‚दर है। यह जीवन दरà¥à¤¶à¤¨ की पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ मंगलमयी कसौटी है।आखिर 'शिवं' का हेतॠकà¥à¤¯à¤¾ है। भारतीय ऋषि बोलता है 'सतà¥à¤¯à¤‚'। वेदानà¥à¤¤ की भाषा में 'सतà¥à¤¯-शिव-सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°' में हेतà¥à¤«à¤²à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• समà¥à¤¬à¤‚ध है। इसका अरà¥à¤¥ हà¥à¤†: 'यतॠसतà¥à¤¯à¤‚ ततॠशिवं, यतॠशिवं ततॠसà¥à¤‚दरं'। शासà¥à¤¤à¥à¤° को समà¤à¤¨à¤¾ हमारी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€

है। शासà¥à¤¤à¥à¤° को समà¤à¤¨à¥‡ के साथ-साथ उससे हमारे अनà¥à¤­à¤µ का भी तालमेल बैठना चाहिà¤à¥¤ यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं होता है तो काम बिगड़ने लगता है। हमें सतà¥à¤¯ की गहराई में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करना चाहिà¤à¥¤à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤¯à¤£ और महाभारत हमारे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थ हैं। जहां रामायण पारिवारिक सौहारà¥à¤¦ का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है, वहीं महाभारत पारिवारिक कलह का। नीति को लेकर दोनों में अंतर है। नीति कहती है कि अपंग को राजा नहीं बनाया जा

सकता। इसीलिठबड़े भाई होने के बावजूद जनà¥à¤®à¤¾à¤‚ध धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° को राजा नहीं बनाया गया और पाणà¥à¤¡à¥ को राजा बना दिया गया। बाद में धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° को हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ बनाकर पाणà¥à¤¡à¥ वन चले गà¤à¥¤ इस सतà¥à¤¯ को धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने कभी नहीं सà¥à¤µà¥€à¤•ार किया और इसे अपने खिलाफ षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° मानता रहा। यदि वे इस सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर लिठहोते कि राजवंश पाणà¥à¤¡à¥ का चलना चाहिठतो महाभारत होने का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही न

उठता। धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° शिवतà¥à¤µ की तलाश जीवनभर असतà¥à¤¯ में करता रहा। उसकी इस उलटी चाल से कौरव वंश का नाश हो गया।इधर मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤· भरत ने कभी भी सतà¥à¤¯ को नहीं छोड़ा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने भरी सभा में घोषणा की कि "सब समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ रघà¥à¤ªà¤¤à¤¿ कै आही" और आगे विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिखाते हà¥à¤ कहा कि "'हित हमार सियपति सेवकाई" । सरà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤à¤¿ से राजा घोषित होने के बाद भी शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® के आदेश पर वे अयोधà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ ही

बने रहे। इस पà¥à¤°à¤•ार भरत के सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ से रामायण निकली और धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के असतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ से महाभारत। जिस सà¥à¤‚दरता से शिव न पà¥à¤°à¤•ट हो वह छलावा है और जिस शिव से सतà¥à¤¯ न पà¥à¤°à¤•ट हो वह अमंगलकारी है।

 

भवदीयशशि शेखर

 

 

 

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Shashi S.Sharma

[Vedic Astrologer & Gems Advisor]

Delhi, Cell-09818310075

polite.astro@ gmail.com

polite_astro@ hotmail.com

 

 

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