Guest guest Posted August 4, 2007 Report Share Posted August 4, 2007 ll HARE RAM ll/स्ञ्जक्त्रह्रहृद्द>भगवान शिव ऐसे देवाधिदेव महादेव हैं, जो थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। यही कारण है कि इनके भक्तों की संख्या विश्व में सर्वाधिक है। श्रावण माह में तो इनके भक्तों की संख्या को सहज ही महसूस किया जा सकता है। भगवान शिव की सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि कोई व्यक्ति यदि अनजाने में भी कुछ ऐसा कार्य करता है, जिसमें भक्ति का आभास हो तो भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं तथा अवलंब वरद मुद्रा में आ जाते हैं। इस समय भक्त जो भी मांग दे, वह उसे प्रदान कर देते हैं। अपने इसी स्वभाव के कारण भगवान शिव ने कई बार तो वरदान दे कर स्वयं को भी संकट में डाल लिया। भस्मासुर का प्रसंग उनके इसी स्वभाव का उदाहरण है। वैसे तो भगवान शिव की आराधना सकाम और निष्काम दोनों प्रकार की होती है, लेकिन सकाम भक्तों की संख्या अधिक होती है। सामान्य जीवन में धन के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। इसके लिए हमारे शास्त्रों में सिद्ध मनीषियों ने भगवान शिव की उपयुक्त आराधना के उपाय बताये हैं। उनके अनुसार श्रावण मास में प्रतिदिन 5,7,11,27 या 108 बिल्व पत्रों पर चंदन से "राम" या पंचाक्षर मंत्र यानी 'ॐ नम: शिवाय' लिखें। उस बिल्वपत्र को वही मंत्र बोलते हुए भगवान शिव पर चढ़ाते जायें। ऐसा इकतीस दिनों तक किया जाना चाहिए। शास्त्रों के मत के अनुसार जो श्रद्धालु इस विधि से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करता है, उसपर भगवान शिव अवश्य ही प्रसन्न हो जाते हैं और उसे धन-धान्य प्रदान करते हैं। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। इसलिए गृहस्थ आश्रम में रहने वाले भक्तों को सावन महीने में शिव की आराधना अवश्य ही करनी चाहिए। शशि शेखर HARE_RAM Astro_Remedies Manglik_ManglikShashi S. Sharma Delhi Mobile-09818310075 polite.astro polite_astro Shape in your own image. Join our Network Research Panel today! Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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